India News (इंडिया न्यूज),Taj corridor case: 2002 ताज कॉरिडोर (Taj corridor case) मामले में बीएसपी प्रमुख मायावती पर शिकंजा कसने वाला है। यहां पर दो सवाल उठते जिसका हम इस आर्टिकल में आपको जवाब देने का भरसक कोशिश करेंगे। जिनमें सबसे पहला सवाल आखिर ताज कॉरिडोर घोटाला क्या है? और क्या पूर्व सीएम अब इस मामले में जेल भी जाएंगी? तो नीचे हमने इन्हीं तमाम सवालों का जवाब दिया है।
ताज घोटाले की कार्रवाही के लिए CBI को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (NPCC) सेवानिवृत्त एजीएम महेन्द्र शर्मा के खिलाफ बीस साल बाद पहली बार केस दर्ज करने की अनुमति मिल गई है। बता दें कि इस पूरे मामले में 22 मई को सुनवाई होनी है। यह कोई 5 करोड़ या 10 करोड़ का घोटाला नहीं है बल्कि 175 करोड़ रुपए का घोटाला है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 468 के अपराध के तहत अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे अधिकतम 7 साल की सजा और इसके साथ ही आर्थिक दंड का भी प्रावधान है। ऐसे में बसपा प्रमुख दोषी पाई जाती हैं तो निसंदेह उन पर कानून की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। बाकी अब इस मामले में जांच और फैसले का इंतजार है।
सभी आरोपियों पर सीबीआई ने आईपीसी की धारा 420(धोखाधड़ी),120बी(आपराधिक साजिश)471(जाली दस्तावेज तैयार करना, 468(धोखाधड़ी करने के लिए साजिश रचना) जैसे गंभीर धाराएं लगाई गईं।
दरअसल साल 2002 में उत्तर प्रदेश की उस समय की मुख्यमंत्री रहीं मायावती आगरा में ताजमहल के आसपास के हिस्सों मे कॉरिडोर बनाने का एक बड़ा फैसला लिया था। इस प्रोजेक्ट को बनामे की लागत 175 करोड़ रूपये रखे गए थे। मगर जारी हुए सिर्फ 17 करोड़ रूपए। इसमें सबको चौंकाने वाली बात तो ये थी की ये सारे रूपए बिना किसी ठेके के NPCC को जारी भी कर दिए गए थे। ना कोई काम को ऑर्डर जारी हुआ। इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया गया था। जिसमें याचिकाकर्ताओं ने न्यायिक जांच की मांग की थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने CBI को मामले की जांच सौंपी थी। CBI इसी मामले में मायावती समेत 11लोगों को आरोपी बनाया।