India News (इंडिया न्यूज़) Uttarakhand UCC Bill : UCC 2024 उत्तराखंड सदन में पेश किए जाने के बाद विधानसभा में कई नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आई है। वही कांग्रेस ने विरोध करने से भी मना कर दिया है। इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी इस कानून की आलोचना की है।
समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने मंगलवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC Bill) मुसलमानों की पवित्र पुस्तक कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश किया।
पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा अगर यह (UCC) कुरान में मुसलमानों को दी गई निर्देश के खिलाफ है, तो हम इसका पालन नहीं करेंगे। यदि यह निर्देश के अनुसार है तो हमें कोई समस्या नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कुछ समुदायों को इससे छूट दी जाएगी।
उन्होंने कहा क्या UCC के आने पर सभी कानूनों में एकरूपता होगी? नहीं, बिल्कुल भी एकरूपता नहीं होगी। जब आपने कुछ समुदायों को इससे छूट दे दी है तो एकरूपता कैसे हो सकती है? हमारी कानूनी समिति मसौदे का अध्ययन करेगी और उसके अनुरूप निर्णय लिया जाएगा।
यूसीसी बिल का वादा भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किया था। उन्होंने आगे कहा कि जब यह विधेयक बन जाएगा, तो तलाक, विरासत, विवाह आदि को नियंत्रित करने वाले व्यक्तिगत धार्मिक कानूनों की जगह को ले लेगा।
राज्य विधानसभा में भाजपा के स्पष्ट बहुमत के कारण विधेयक के पारित होने की उम्मीद है, कांग्रेस का कहना है कि वह यूसीसी के खिलाफ नहीं है। कांग्रेस ने आज कहा कि वह यूसीसी के खिलाफ नहीं है बल्कि इसे जिस तरह से पेश किया जा रहा है उसके खिलाफ है। आगे कहा कि हम UCC के खिलाफ नहीं हैं।
सदन कार्य संचालन के नियमों से चलता है लेकिन भाजपा लगातार इसकी अनदेखी कर रही है और संख्या के आधार पर विधायकों की आवाज दबाना चाहती है। विधायकों को प्रश्नकाल के दौरान सदन में अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, चाहे उनके पास नियम 58 के तहत प्रस्ताव हो या अन्य नियमों के तहत, उन्हें विधानसभा में राज्य के विभिन्न मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने का अधिकार है।
उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री बिल पास कराने की उत्सुकता में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने एएनआई से कहा, ‘किसी के पास ड्राफ्ट की कॉपी नहीं है और वे इस पर तत्काल चर्चा चाहते हैं। केंद्र सरकार प्रतीकवाद के लिए उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य का उपयोग कर रही है। यदि वे यूसीसी लाना चाहते हैं, तो इसे केंद्र सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।’
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