UCC in Uttarakhand : CM धामी को सौंपा गया यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट, जानिए लागू होने से क्या-क्‍या होगा बदलाव?

India News (इंडिया न्यूज़) UCC in Uttarakhand : उत्तरखंड में यूनिफार्म सिविल कोर्ट को करने की तैयारी तेज हो गई है। इस क्रम में UCC समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को इसका एक रिपोर्ट सौपा। जिसमे UCC मसौदा लिखा हुआ है।

पांच सदस्यीय कमेटी का किया था गठन

27 मई 2022 को उत्तराखंड सरकार ने UCC के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। अब सरकार इसे कल होने वाली कैबिनेट मे मिले ड्राफ्ट को मंजूरी देगी। जानकारों का मानना है कि 6 फरवरी को धामी सरकार विधानसभा में UCC को विधेयक के रूप में पेश कर सकती है।

जानिए यूसीसी के प्रावधान

पिछले तीन दिनों से देहरादून में यूसीसी कार्यालय पर काम कर रहा है। बता दे, समिति के सदस्य दिन-रात मिलाकर 15 – 15 घंटे काम कर रहे है। सूत्रों के अनुसार इस मसौदे में 400 से अधिक धाराएं शामिल हैं। इस मसौदे का लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली गलत भावनाओं को ख़त्म करना है।

पढ़िए इसमें किस विषय पर हो रही बात

पति-पत्नी के बीच लड़ाई में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है। बच्चों की संख्या पर लगेगी सिमा जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रावधान पेश किए जा सकते हैं। महिला केंद्रित प्रावधानों पर केंद्रित हो सकता है पूरा मसौदा । यूसीसी से आदिवासियों को छूट मिलने का अनुमान है। यदि विवाह पंजीकृत नहीं है, तो आप किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित हो सकते हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी और बहुविवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा।

लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले..

लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल हो सकती है। विवाह के बाद अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है। प्रत्येक विवाह का पंजीकरण संबंधित गांव, कस्बे में किया जाएगा और बिना पंजीकरण के विवाह अमान्य माना जाएगा। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी देनी होगी। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस पंजीकरण अनिवार्य होगा।

मुस्लिम महिला भी बच्चा गोद ले..

कामकाजी बेटे की मृत्यु होने पर बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा। पति की मृत्यु की स्थिति में, यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है, तो प्राप्त मुआवजा उसके माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा। मुस्लिम महिला भी बच्चा गोद ले सकती है जिसकी प्रक्रिया सरल होगी। लड़कियों को भी लड़कों के समान विरासत का अधिकार मिलेगा।

अनाथ बच्चों की संरक्षकता की प्रक्रिया होंगी सरल

मुस्लिम समुदाय के भीतर इद्दत जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। तलाक की प्रक्रियाओं तक पति और पत्नी दोनों को समान पहुंच प्राप्त होगी। यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा नहीं है, तो उनकी देखभाल की जिम्मेदारी पति पर होगी। अनाथ बच्चों की संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।

5 फरवरी को हो सकता पेश

बता दें कि उत्तराखंड में 5 फरवरी से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है और UCC का मसौदा भी इसी सत्र में सदन में पेश किया जाएगा। UCC के लागू होने के बाद ये सारे परिवर्तन होंगे।

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Anubhaw Mani Tripathi

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