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UP Bahubali : ‘जेल से जीते’ बाहुबली हरि शंकर तिवारी, जानिए गैंगस्टर से राजनीति तक का सफर

• LAST UPDATED : May 17, 2023

India News (इंडिया न्यूज़) UP Bahubali गोरखपुर : हरि शंकर तिवारी (Hari Shankar Tiwari) 1933 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) से समाजवादी पार्टी से संबंधित एक भारतीय गैंगस्टर (UP Bahubali) और राजनेता थे।

  • गोरखपुर विश्वविद्यालय से पढ़े बाहुबली हरि शंकर तिवारी 
  • जेपी आंदोलन में भी लिया भाग 
  • जेल से जीता चुनाव
  • राजनीति का पंडित माना जाने लगा
  • 2012 के बाद नहीं लड़ा चुनाव
  • जेल से चुनाव जीतने वाले पहले गैंगस्टर बने 
  • समाजवादी सरकार में बने कैबिनेट मंत्री
  • मायावती की सरकार में भी किया राज
  • संत कबीर नगर से बेटा रहा संसद सदस्य
  • भतीजे ने जीता चौथी बार एमएलसी चुनाव
  • योगी सरकार में हारा विनय शंकर
गोरखपुर विश्वविद्यालय से पढ़े बाहुबली हरि शंकर तिवारी 

उनका जन्म 5 अगस्त 1935 को बड़हलगंज के टांडा में हुआ। उनके पिता का नाम भोलानाथ तिवारी और माता का नाम गंगोत्री देवी था। उनकी हाई स्कूल की पढ़ाई हाईस्कूल नेशनल कॉलेज, बड़हलगंज से हुआ। उन्होंने इंटर की पढ़ाई सेट एंड्रयूज कॉलेज गोरखपुर से किया। वही, बीए एंड एमए की पढ़ाई गोरखपुर विश्वविद्यालय से की।

जेपी आंदोलन में भी लिया भाग 

वर्ष 1970 में पटना यूनिवर्सिटी से जेपी आंदोलन बहुत तेज चल रहा था। जिसका तपिश गोरखपुर यूनिवर्सिटी तक पहुंच गया। उस दशक में छात्रों के नारे राजनीति के लिए बहुत अहम् माने जा रहे थे।

उस दशक से विश्वविद्यालय राजनीति की नर्सरी बन चुकी थी। इस नर्सरी में गोरखपुर विश्वविद्यालय भी शामिल था। उस दौरान गोरखपुर विश्वविद्यालय में ठाकुर और ब्राह्मण की राजनीति चल रही थी।

जेल से जीता चुनाव

ब्राह्मण गुट के नेता हरि शंकर तिवारी थे। इसके बाद वो जेल चले गए। जेल में बंद हो कर भी सर पर माननीय बनने का बहुत सवार था। जिसके बाद उन्होंने वर्ष 1985 में जेल में बंद होने के बाद भी चिल्लूपार से निर्दल प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कर दिया।

उस समय उनका प्रचार उनके समर्थको ने किया। चुनाव का जब रिजल्ट आया तो हरि शंकर तिवारी ने कांग्रेस के मारकंडे चाँद को 21,7258 वोटों से हराकर दिया और विधायक बन गए। पहली बार कोई प्रत्याशी जेल से चुनाव जीता था।

राजनीति का पंडित माना जाने लगा

उन्हें पूर्वांचल के राजनीति का पंडित माना जाने लगा। देखते ही देखते बुलेट और बैलेट दोनों पर उन्होंने धाक जमा ली। जिसके बाद 6 बार विधायक का चुनाव जीता। साल 1997 में पहली बार मंत्री बने।

हरि शंकर तिवारी पर 1980 के दशक में कई आपराधिक मामले दर्ज हो गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री बने वीर बहादुर सिंह ने तिवारी पर कार्रवाई की और उन्हें जेल भेज दिया। साल 1985 में जेल में रह कर उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव जीता। और पहले बार विधायक बने। जेल में रह कर चुनाव जीतने वाला पहले विधायक बने।

2012 के बाद नहीं लड़ा चुनाव

साल 1997 से हर सरकार में वह मंत्री भी रहे है। वर्ष 2007 और वर्ष 2012 के विधायक में बार के बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 2017 में बसपा से टिकट पर उनके बेटे विनय ने चिल्लूपार से चुनाव लड़ा और विधायक बने। योगी सरकार 2.0 में उनके लड़के भी बीजेपी प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी से चुनाव हार गए।

जेल से चुनाव जीतने वाले पहले गैंगस्टर बने 

तिवारी गोरखपुर जिले के टांडा, चिल्लूपार गांव से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य भी थे। भारतीय राजनीतिक इतिहास में तिवारी जेल से चुनाव जीतने वाले पहले गैंगस्टर थे। हरी शंकर तिवारी चिल्लूपार से चुने गए। वे वर्षों तक विधान सभा के सदस्य रहे। तिवारी अपनी ब्राह्मण राजनीति के लिए जाने जाते थे।

समाजवादी सरकार में बने कैबिनेट मंत्री

1997 में, वह जगदम्बिका पाल, राजीव शुक्ला, श्याम सुंदर शर्मा और बच्चा पाठक के साथ अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के संस्थापक सदस्य थे। तिवारी कई सरकारों में राज्य विधानसभा में कैबिनेट मंत्री थे, जिसमें मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी) सरकार (2003-2007) शामिल थी।

मायावती की सरकार में भी किया राज

2000 में, वह राम प्रकाश गुप्ता की सरकार में स्टाम्प और पंजीकरण कैबिनेट मंत्री थे। 2001 में, वह राजनाथ सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और 2002 में भी, वह मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।

संत कबीर नगर से बेटा रहा संसद सदस्य

उनके पुत्र भीष्म शंकर तिवारी गोरखपुर के पश्चिम में संत कबीर नगर सीट से संसद सदस्य थे। दूरसे बेटे पुत्र, विनय शंकर तिवारी गोरखपुर से खड़े हुए, लेकिन 222,000 मतों के अंतर से योगी आदित्यनाथ से हार गए। वह 2007 में बलिया से 130,000 मतों से एक अपवाह चुनाव भी हार गए। वह 2018 से 2022 तक चिल्लूपार से विधायक थे।

भतीजे ने जीता चौथी बार एमएलसी चुनाव

भतीजे गणेश शंकर पांडे महाराजगंज से राज्य विधायक थे। 2010 में उन्होंने लगातार चौथी बार एमएलसी चुनाव जीता, और विधान परिषद के अध्यक्ष थे।

योगी सरकार में हारा विनय शंकर

तिवारी की जगह राजेश त्रिपाठी ने ली। उसके बाद विनय शंकर तिवारी गोरखपुर की 17वीं विधान सभा में फिर से चिल्लूपार निर्वाचन क्षेत्र से जीते। हालांकि बाद वाला 2022 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में त्रिपाठी से हार गया। तिवारी का 89 वर्ष की आयु में 16 मई 2023 को गुर्दे की विफलता से निधन हो गया।

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