India News (इंडिया न्यूज़) Nitika Sareen UP News लखनऊ : यूपी बीजेपी में नए जिलाध्यक्षों की तैनाती को लेकर पेंच फंस गया है। अगले लोकसभा चुनाव की वजह से हर जिले में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बिठाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रह है। इसे लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मंथन हो रहा है।
कई जगह सांसद और केंद्रीय नेतृत्व भी जिलाध्यक्षों को हटाने के पक्ष में नहीं है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने करीब 40 जिलाध्यक्षों को हटाने के लिए अपनी सूची तैयार कर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेज दी थी। लेकिन अभी इस सूची को हरी झंडी नहीं मिल सकी है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने करीब 40 जिला और महानगर की टीम में अध्यक्षों में बदलाव की सिफारिश की है। भाजपा के संगठनात्मक तौर पर 98 जिले हैं। प्रदेश भाजपा टीम की ओर से जिन 40 जिलाध्यक्षों-महानगर अध्यक्षों के नाम बदलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, उनमें ज्यादातर वह अध्यक्ष हैं, जो दो से तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।
इनके अलावा जो अध्यक्ष एमएलसी बनाए जा चुके हैं, उन्हें भी बदला जाएगा। इनमें कानपुर देहात के जिलाध्यक्ष अविनाश चौहान, महोबा के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह सेंगर शामिल को एमएलसी बनाया जा चुका है। वाराणसी के जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा दो कार्यकाल भी पूरा कर चुके हैं और इन्हें एमएलसी भी बनाया जा चुका है।
वहीं जो दो या तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, उनमें अकेले अवध क्षेत्र में लखनऊ के महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा, बहराइच के श्यामकरन टेकरीवाल, हरदोई के सौरभ मिश्र, कन्नौज के नरेंद्र राजपूत, झांसी के जिलाध्यक्ष जमुना कुशवाहा, हमीरपुर के बृज किशोर गुप्ता, अमेठी के जिलाध्यक्ष दुर्गेश, सुलतानपुर के जिलाध्यक्ष आरए वर्मा के साथ पश्चिम यूपी के भी कई जिला और महानगर अध्यक्ष दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं। कुछ जिलाध्यक्ष तो आठ या दस साल से जिलाध्यक्ष या महानगर अध्यक्ष पद पर ही कायम हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सभी जिलों में जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट लेने के लिए 98 जिलों में आब्जर्वर भेजे थे। इन आब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट जुलाई में सौंप दी थी। रिपोर्ट में जिलाध्यक्षों के लिए 3 से 4 नाम सुझाए गए थे। प्रदेश अध्यक्ष ने इसके आधार पर ही अपनी सूची राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को दी।
केंद्रीय नेतृत्व से यह सुझाया गया है कि भाजपा के जिलाध्यक्षों में होने वाले बदलाव में इस बार मुख्य संगठन में भी महिला भागीदारी बढ़ायी जाए। अभी तक केवल तीन जिलों में ही महिला जिलाध्यक्ष हैं। इसके अलावा दलित और ओबीसी चेहरों को भी जिलाध्यक्ष बनाने में प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
सूची में महिलाओं के अलावा दलित, पिछड़ों के साथ क्षेत्रीय समीकरण बिठाने में भी पेंच फंसा हुआ है। कुछ सांसदों ने नए प्रस्तावित जिलाध्यक्षों के नामों का विरोध करना शुरू कर दिया है। महिलाओं को भी मुख्य संगठन में जिम्मेदारी देने पर आम सहमति नहीं बनती दिख रही है।
हालांकि अभी पार्टी में महिलाओं में कौशाम्बी में अनीता त्रिपाठी, मथुरा जिला में मधु शर्मा और कानपुर दक्षिण से डा.बीना आर्य पटेल जिलाध्यक्ष हैं। इन सभी को 2019 में जिलाध्यक्ष बनाया गया था। वहीं भाजपा में भूपेंद्र चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश टीम में भी महिलाओं, दलितों, ओबीसी की भागीदारी बढ़ाई गई थी।
इस वक्त प्रदेश टीम में भी 11 महिला पदाधिकारी हैं। अब सभी क्षेत्रों में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बिठाने में दिक्कत हो रही है। इस वजह से भी सूची फंस गई है। अब सूची के लिए आरएसएस और केंद्रीय नेतृत्व के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।
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