UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश भर में आचार संहिता लागू कर दी गई है। ऐसे में तमाम लागू हो गए हैं। वहीं प्रदेश के विभिन्न इलाकों में सड़कों पर गाड़ियों की सघन चेकिंग की जा रही है। ऐसे में चुनाव आयोग पूरी तरीके से मुस्तैद है कि प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में किसी प्रकार की कोई धांधली ना हो इसके लिए हर जिले में उड़न दस्ता टीम का गठन किया है। इसी बीच यूपी निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी बीजेपी (BJP) के लिए परिवारवाद को रोकना एक बड़ी चुनौती है।
बता दें कि निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक बुलाई थी। तब भी सबको सख्त लहजे में ये कहा गया था कि मंत्री अपने परिवार के लिए टिकट की लाइन में न लगें। बीजेपी पार्टी, सरकार और संगठन ने निकाय चुनाव में परिवारवाद रोकने(Stop familyism in body elections) के लिए मंत्री, सांसद और विधायकों के रिश्तेदारों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है।
लेकिन निकाय चुनाव में जीत के मूल मंत्र के साथ मैदान में उतरी बीजेपी के लिए परिवारवाद को रोकना आसान नहीं नहीं लग रहा है। बता दें कि प्रयागराज में औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा नंदी दूसरी बार महापौर बनी हैं। सूत्रों की मानें तो मंत्री नंदी अपनी पत्नी अभिलाषा को तीसरी बार महापौर बनवाने के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। वहीं अगर लखनऊ की बात करें तो उत्तर सीट से विधायक नीरज बोरा अपनी पत्नी बिंदु बोरा के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं।
2021 के पंचायत चुनाव में भी बीजेपी ने किसी मंत्री, सांसद या विधायक के परिजनों को टिकट न देने का फैसला सख्ती से लागू जरूर किया था। लेकिन कई जगह पर नेताओं के परिजनों ने बगावत कर दिया। उसके बाद क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी को फैसला बदलना पड़ा। वैसे बीजेपी में परिवारवाद कोई नया नहीं है। मोहनलालगंज से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर की पत्नी जयदेवी लखनऊ के मलिहाबाद से बीजेपी विधायक हैं। लखनऊ से सांसद और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह भी बीजेपी से ही विधायक हैं।