UP Politics: प्रदेश के उन्नाव जिले में कुल 16 नगर पंचायते और 3 नगर पालिकाएं हैं। लेकिन नगर पंचायत मौरावा में सियायसी पारा चरम पर है। यहां पर बीजेपी से टिकट न मिलने पर एक प्रत्याशी ने बीजेपी के प्रत्याशी के प्रस्तावक को धमकाकर प्रस्ताव वापस करवा लिया। जिसके बाद बीजेपी से प्रत्याशी विवेक सेठ का पर्चा खारिज हो गया। हालांकि बीजेपी से नामांकन कराने से पहले विवेक सेठ ने 14 अप्रैल को अपना निर्दलीय नामांकन भी करा लिया था। इसलिए नगर पंचायत मौरावा में कुल 5 प्रत्याशियों में सभी निर्दलीय हैं।
वहीं प्रस्तावक ने निर्दलीय प्रत्याशी नवनीत शुक्ला पर धमकाने और प्रस्ताव वापस लेने का दबाव बनाने का थाने में प्रार्थना पत्र देकर गंभीर आरोप लगाया है। वहीं विवेक सेठ किसी भी प्रकार से प्रस्तावक धीरेंद्र को मनाने में लगे। ताकि वह बीजेपी के सिंबल से ही चुनाव लड़ सके। साथ ही विपक्षी प्रत्याशी की टीसी और गजट पर जन्म तिथि में अंतर और नामांकन पत्र में संपत्ति का विवरण छुपाने को लेकर आपत्ति भी दर्ज कराई है। अब देखना यह होगा कि मौरावा की सियासत पर कौन राज करता है।
नगर पंचायत मौरावा में तीन दशक से अधिक शुक्ला परिवार का राज है। लेकिन इस बार मैदान में राज्यसभा सांसद संजय सेठ के भतीजे विवेक सेठ मैदान में ताल ठोक रहे हैं। नवनीत शुक्ला और विवेक सेठ दोनों ने ही भाजपा से टिकट मांगा था लेकिन बीजेपी ने विवेक सेठ को अपना प्रत्याशी बनाया जिसके बाद मौरावा के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई। साजिश के तहत विवेक सेठ के प्रस्तावक धीरेंद्र को प्रस्तावक को धमकाया गया। लिहाजा प्रस्तावक ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया और प्रार्थना पत्र देकर पुलिस प्रशासन से अपनी जान का खतरा बताकर न्याय की गुहार लगाई है। देखना ये दिलचस्प होगा कि आखिर पुलिस मामले पर क्या कार्यवाही करती है। ये तो आने वाला समय ही बताएगा। विवेक सेठ भाजपा से चुनाव लडेंगे या निर्दलीय और मोरावा की सियासत पर कौन राज करेगा।
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