India News (इंडिया न्यूज़) सुशील कुमार, गोरखपुर : पूर्वांचल में ब्राहमण चेहरे के खाली जगह को कैसे भरेंगे अमर मणि। पूर्वांचल में खोई साख को कैसे पायेंगे वापस अमर मणि। गोरखपुर या पूर्वांचल में पंडित हरिशंकर तिवारी के जाने के बाद ब्राहमण के खाली चेहरे को अब अमर मणि से जोड़ कर भी देखा जा रहा है।
कैसे वो खाली चेहरा भर पायेगा। क्योकि अब 20 सालो बाद अमर मणि त्रिपाठी को रिहाई मिली है। अब ऐसे में एक बार फिर शियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है। खास कर पूर्वांचल में कौन होगा ब्राहमण चेहरा।
पूर्वांचल में पंडित हरिशंकर तिवारी के जाने के बाद अब खाली ब्राह्मण का चेहरा कैसे भरेगा। तबी इसी बीच तकरीबन 20 सालो से जेल में बंद अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को न्यायालय ने रिहा कर दिया।
फिर ब्राहमण बिरादरी में एक सुगबुगाहट शुरू हो गई। जैसे ही अमर मणि त्रिपाठी जेल से रिहा हुए तभी पूर्वांचल में ब्राहमण का खाली चेहरे के रूप में अमर मणि को देखा जाने लगा और शियासी गलियारों में एक हलचल मच गई।
आपको बता दे कि 2003 से जेल में बंद अमर मणि त्रिपाठी के बेटे राजनीती की भगा दौड़ सम्भाले हुए थे। लेकिन पिता की तरह परिपकन हो पाने के कारण बहुत चर्चित नहीं हो पाए और अभी अपने पिता के नाम पर चर्चा में रहने वाले अमन मणि के लिए पिता की रिहाई के बाद एक नई चमक जरुर आई है।
जिला अधिकारी के आर्डर के बाद जेल प्रशासन ने उन्हें रिहा करने का आर्डर निकाला और बीआरडी मेडिकल ले गए और पूरी प्रक्रिया की और उन्हें न्याय अभिरक्षा से मुक्त कर दिया।
गोरखपुर में अमर मणि त्रिपाठी के रिहाई के बाद बीआरडी मेडिकल कालेज से लेकर नौतनवा तक जश्न का दौर और ख़ुशी की लहर थी। बीआरडी मेडिकल कालेज में अभी फिलहाल अमर मणि और उनकी पत्नी रहेंगी।
कमरा नम्बर 16 में और कमरा नम्बर 19 में दोनों अलग अलग भर्ती है। जहा उनका इलाज चल रहा है। फिलहाल, अमर मणि के बेटे की माने तो अभी डाक्टर जिस तरह का सजेशन देंगे। उस हिसाब से काम करेंगे। वही रहा सवाल राजीनीति की तो अमर मणि यानी अमन के पिता का राजनीती में अपना एक अलग वर्चस्व रहा है।
लेकिन जेल जाने से इस पर बहुत फर्क पड़ा था। अब वो जब रिहा हो गए है, तो आगे एक बार फिर सक्रिय राजनीती में आयेंगे। फिलहाल इस पर अभी कुछ खास नहीं कह सकते है। जैसा पिता जी निर्णय लेंगे आदेश करेंगे वैसा किया जाएगा।
अमर मणि को लेकर पूर्वांचल में ब्राह्मण के खाली चेहरे को लेकर अब चर्चाये तेज हो गई। पंडित हरिशंकर तिवारी के जाने के बाद अब ये खाली जगह को लेकर ब्राहमण नेता की तलाश की जा रही थी।
तभी अमर मणि की रिहाई ने एक चर्चा की विषय बना दिया और ये माना जा रहा है कि आने वाले समय में अमर मणि उस खाली जगह पर सम्भवत फीट बैठ सकते है। इस पर वरिष्ठ पत्रकार सुजीत पांडे की माने तो उनका कहना है कि पंडित हरिशंकर तिवारी के समय के ब्राह्मण या जातीगत राजनीती थी।
उनका अपना एक वर्चस्व था और उनके बाद उनके बेटे ने भी उसी राह पर चल कर उनकी सलतन को सम्भालने का काम किया। लेकिन अमर मणि के साथ ऐसा नहीं है और जब अमर मणि 2023 के पहले की बात करे तो उस दौर में अमर मणि का वर्चस्व का कारण कुछ ओर था। लेकिन अब जब वो 20 सालो बाद रिहा होकर आ रहे है।
तो इस समय उन्हें किस तरह से लोग देख रहे है। क्या ब्राहमण चेहरे के रूप में इसको लेकर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। क्योकि आज ब्राहमण कार्ड बहुत काम नहीं कर रहा है।
चूँकि आज योगी जी की सरकार में जातिगत वोट बैंक बहुत फर्क नहीं डालता है। फिर भी अब उनके बाहर आने के बाद उनकी स्र्क्रिय्ता किस तरह से होती है। इस पर निर्भर करता है।
पंडित हरिशंकर तिवारी के जाने के बाद उस खाली जगह पर अमर मणि त्रिपाठी को रख कर देखा जाय तो वो कितना फीट होते है। इसको इस लिहाज से देखा जाए तो कुछ हद तक इसे समझा जा सकता है।
क्योकि अमर मणि त्रिपाठी उस दौर के नेता है या उनका वर्चस्व उस समय का है, जब पंडित हरिशंकर तिवारी का सिक्का चलता था। उस लिहाज से देखा जाय तो पंडित हरिशंकर तिवारी के उस खाली जगह पर अमर मणि कितना फीट बैठते है।
ये तो कुछ ही दिनों में अमर मणि त्रिपाठी के राजनीती गलियारे में सक्रियता को देख कर अनुमान लगाया जा सकता है। फिलहाल ये जरुर है कि अभी फिलहाल पूर्वांचल में ब्राहमण के चेहरे के रूप में कोई ऐसा सामने नहीं है।
अब ऐसे में कुछ ही दिनों बाद अमर मणि के सक्रियता के बाद ये चीजे सामने आ जाएँगी। लेकिन अमर मणि के रिहाई के बाद शियासी गलियारे में अमर मणि को लेकर शियासी हलचल तेज जरूर हो गई है |
अमर मणि के रिहाई के बाद अब पूर्वांचल में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जोड़ कर जरुर देखा जा सकता है और इसको लेकर उनके बेटे अमन मणि ने ये संकेत जरुर दे दिया है।
इनके हिसाब से ये माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनो में अमर मणि की भूमिका राजनैतिक गलियारों में देखने को मिलेगी। इसको लेकर एक रणनीति के तहत एक बार फिर अमर मणि सबके सामने नजर आयेंगे।
कयास्त ये भी लगाया जा रहा है कि अमर मणि पूर्वांचल में ब्राह्मण के खाली चेहरे को भी भरने में कामयाब होंगे। अगर एसा हुआ तो निश्चित रूप से भारतीय जनता पारी और समाजवादी पार्टी इन्हें अपने पाले में करने की कवायत जरुर करेगी।
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