India News (इंडिया न्यूज़) Uttarakhand : उत्तराखंड (Uttarakhand) उच्च न्यायालय समाचार: रुद्रप्रयाग जिला न्यायाधीश और सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनुज कुमार संगल को कर्मचारियों के उत्पीड़न के आरोप में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने निलंबित कर दिया है। उन पर उत्तराखंड हाई कोर्ट के रजिस्टर विजिलेंस के तहत उनके अधीन काम करने वाले एक चतुर श्रेणी के कर्मचारी को परेशान करने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि इसी प्रताड़ना से क्षुब्ध होकर कर्मचारी ने जहर खा लिया। निलंबन अवधि के दौरान वह जिला एवं सत्र न्यायालय चमोली से संबद्ध रहेंगे।
निलंबन आदेश उत्तराखंड (Uttarakhand) हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल आशीष मैठाणी ने जारी किए हैं। आदेश में कहा गया है कि अनुज कुमार संगल पर लगे कुछ आरोपों पर अनुशासनात्मक जांच पर विचार किया जा रहा है। उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली 2013 के नियम 7 के तहत नियमित जांच शुरू की जाएगी। इसके लिए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। अनुज संगल पर आरोप है कि उन्होंने रजिस्ट्रार के पद पर तैनाती के दौरान अपने आवास पर तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हरीश अधिकारी को नौकरी से हटाने की धमकी देकर दुर्व्यवहार और उत्पीड़न किया था।
संगल पर आरोप है कि वह सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक और इससे भी अधिक समय तक ड्यूटी के दौरान नियमित रूप से कर्मचारियों को डांटते थे और उन्हें परेशान करते थे। कर्मचारियों के काम के घंटे और काम की प्रकृति के संबंध में 18 नवंबर 2023 को अपने जवाब में गलत तथ्य जोड़कर अनुशासनात्मक प्राधिकारी को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। शिकायतकर्ता ने अर्जित अवकाश की मंजूरी की प्रक्रिया में देरी करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है। इस प्रताड़ना से हरीश अधिकारी इतने दुखी हुए कि उन्होंने जज के आवास के सामने जहर खा लिया। इस विषय पर नैनीताल हाई कोर्ट की टिप्पणी सामने आई है।
उच्च न्यायालय के अनुसार, किसी भी अधीनस्थ को परेशान करना और उसे सेवा से हटाने की धमकी देना एक न्यायिक अधिकारी के लिए अमानवीय आचरण है और उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 2002 के नियम 3(1) और 3(2) के तहत कदाचार की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी कर्मचारी की छुट्टी स्वीकृत करने की प्रक्रिया में जानबूझकर देरी करना, उसका वेतन रोकना, उसके साथ दुर्व्यवहार करना, दुर्व्यवहार करना, अपने अधीनस्थ को जहर खाने के लिए मजबूर करना भी अमानवीय व्यवहार है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा जहर देने के पूरे मामले को अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल कर मुख्य न्यायाधीश से छुपाने का भी प्रयास किया गया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने जज को सस्पेंड कर दिया है और उनके खिलाफ जांच बैठा दी है। इस मामले को नैनीताल हाई कोर्ट ने बड़ी मजबूती से उठाया है। चतुर श्रेणी कर्मचारी के जहर खाने की सूचना मिलते ही न्याय पालिका में हड़कंप मच गया।
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