India News (इंडिया न्यूज़) Valentine Day Special 2024 : आज कल सोशल मीडिया का दौर चल रहा है। अब लोगों का प्यार सामने से ज्यादा सोशल मीडिया पर होने लगा है। पहले के प्यार और आज के प्यार में बहुत अंतर हो गया है। उस जवाने में लोग चिठ्ठी कबूतरों से भेजा करते थे इसके साथ ही प्रेमी को प्रेमिका से मिलने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
पहले के समय में मिलना, बाते करना जितना कठिन था। आज के दौर में उतना ही आसान हो गया है। लेकिन वो कहते हैं ना कि मुश्क और इश्क छुपाए नहीं जाते है और अगर कोशिश भी की तो छुपते नहीं है। फिर समाज भी प्यार का दुश्मन बन जाता है।
प्यार का महीना (Valentine Day 2024) शुरू होने वाला है और ऐसे में हम आपको हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध लोक कथाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में प्रेम की कई पुरानी लोक कथाएँ हैं। ऐसी ही कहानी है जिंदू और देवकू की। यह कहानी हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के द्रंग की है। द्रंग अपने काले नमक की खदानों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है और राजा-महाराजाओं के समय में यहां खूब व्यापार होता था।
मंडी शहर की साहित्यकार रूपेश्वरी शर्मा ने यह कहानी हिमाचल की लोकसाहित्य पुस्तक के लिए लिखी है। इस पुस्तक का संपादन कांगड़ा के साहित्यकार पंकज दर्शी ने किया है। कहानी उस समय की है जब मंडी पर एक राजा का शासन था। भारत अभी भी स्वतंत्रता प्राप्ति के अंतिम चरण में था। हिमाचल प्रदेश के मंडी के द्रंग (नगरोटा) गांव में जिंदू-देवकू का प्यार परवान चढ़ा।
दरअसल, देवकु का विवाह द्रंग की भारती नामक ब्राह्मणी से हुआ था। देवकू मूल रूप से कुमारसैन, शिमला के रहने वाले थे। देवकू अक्सर पानी लाती थी और भगवान जाने कब जिंदू को पुजारी से प्यार हो गया। यहीं से जिंदू और देवकू के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हुआ। अब दोनों बदस्तूर जल तालाब (बावड़ी) पर मिलते रहते थे। सुबह-सुबह जिन्दा के मिलने के आग्रह पर देवकू हाथ में लोटा लेकर आ जाती थी।
वहीं, जिंदू भी नहाने के बहाने पंढत में आता था। इस तरह दोनों मिलते रहे। वहां दोनों की मुलाकातें होती रहीं और इसी क्रम में उन्होंने साथ जीने-मरने की कसमें खाकर अपने आपसी प्यार का इजहार भी किया। लेकिन प्रेम कहानियाँ कहाँ छिपती हैं? बात सार्वजनिक हो गई और अब पूरे गांव में चोरी-छिपे उनके मिलने की चर्चा होने लगी। लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। अब देवकू का पति भी उसे ताने देने लगा। देवकू समाज और घर के ताने सहने लगी। देवकू को अब हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता था।
जिंदू-देवकू की यह प्रेम कहानी राजा के दरबार तक भी पहुंच गई थी। राज्य के राजा ने देवकु को दरबार में बुलाया। राजा ने देवकू से जिंदू के साथ अपना प्रेम संबंध खत्म करने को कहा। देवकू को पत्थरों से पीटने की सजा भी दी गई। बाद में सजा के तौर पर देवकू ने परक कुल्लू की सड़क पर पत्थर फेंके।
यहां राजा के प्रसिद्ध चित्रकार नरोत्तम गाही की नजर उन पर पड़ी और वे उन्हें अपने घर ले आये। नरोत्तम गाही एक लेखक और चित्रकार थे। उन्होंने देवकू को अपने घर में आश्रय दिया। बाद में देवकू और जिंदू कभी नहीं मिले और यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई। नरोत्तम गाही ने देवकू और जिंदू की प्रेम कहानी को एक गाने में पिरोया था। जो मंडी जिले में काफी लोकप्रिय है
मंडी का द्रंग अपनी सेंधा नमक की खदानों के लिए प्रसिद्ध है। आज़ादी से पहले और बाद में लंबे समय तक यह व्यापारिक दृष्टि से “सिल्क रोड” रहा है। इस मार्ग से घोड़ों और खच्चरों के माध्यम से कुल्लू पहुंचा जा सकता था। यह गांव मंडी शहर से करीब 17 किलोमीटर दूर और हाईवे से दो-ढाई किलोमीटर ऊपर की ओर था।
नमक भोजन के लिए एक आवश्यक वस्तु है। उन दिनों नमक केवल द्रंग और गुम्मा में ही उपलब्ध होता था। इसके लिए लोग लंबी दूरी तय करते थे और “लूनिया” कहलाते थे। ये लोग यहां तक पहुंचने के लिए कई दिनों तक पैदल यात्रा करते थे। कहा जाता है कि द्रंग गांव की स्थापना मंडी रियासत के अस्तित्व में आने से पहले हुई थी।
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