INDIA NEWS(इंडिया न्यूज़),सोभनद्र: कहा जाता है कि जल ही जीवन है। ये बात एकदम ठीक है की पानी के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के सोनभद्र (Sonbhadra) में इसी जल पर अब संकट मंडरा रहा है। यहां पर लगातार हर साल करीब दो से तीन मीटर तक जल का स्तर कम होता जा रहा है।
बता दें कि सोनभद्र में लगभग 25 सालों से पानी की समस्या और जल प्रदूषण की समस्या एक गंभीर सवाल बना हुआ है। प्रदूषित पानी पीने की वजह से यहां के 10 विकास खण्डों में लगभग 26 गांव पिछले 20 साल से फ्लोरोसिस जनित दिव्यांगता विकलांगता से पीड़ित हैं।
पानी की कमी के कारण सोनभद्र के हालात बेहद गंभीर हैं। दस ब्लाकों वाले जिले में पांच ब्लाकों की स्थिति ज्यादा गंभीर बताई जा रही है। पानी के बेतहाशा दोहन और मानसून की बेरुखी के चलते भूजल स्तर गिरता जा रहा है। इसकी वजह से शहर में जल संकट गहराने लगा है। यहां के दुद्धी, नगवां, रॉबर्ट्सगंज, घोरवल, म्योरपूर, ब्लाक क्रिटिकल जोन में चले गए हैं। वहीं कोन, बभनी, चतरा, करमा, चोपन सेमी क्रिटिकल जोन में हैं।
सोनभद्र जनपद की करीब 22 लाख आबादी के लिए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बड़ी चुनौती बनी हुई है। नगवां विकास खण्ड गोगा, केवटम, ढोसरा, सहित दर्जनो गाँव मे पानी का संकट हो गया है। ग्रामीण दो-तीन किलोमीटर दूर से पानी ला रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि गांव में पेयजल की बहुत समस्या है। यूपी सरकार लगातार हर घर पानी का दावा कर रही है लेकिन प्रदेश के आखिरी छोर पर चार राज्यों की सीमा से लगे बुंदेलखंड के सोनभद्र जिला में आज भी एक बड़ी आबादी साफ पानी के लिए तरस रही है।