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World Transplant Games : दो बार किडनी खराब होने के बाद भी नहीं मानी हार, बना विश्व चैंपियन, साले ने दी थी किडनी

• LAST UPDATED : May 17, 2023

India News (इंडिया न्यूज़) World Transplant Games बाराबंकी : बाराबंकी (Barabanki) के धर्मेंद्र (Dharmendra) ने दो बार किडनी खराब होने के बाद भी हार नहीं मानी। बने विश्व चैंपियन, दुनिया में लहराया भारत का परचम।

  • बैडमिंटन स्पर्धा में जीता गोल्ड मेडल
  • थाईलैंड के नाथोपोलो को हराया
  • 90 के दशक में थे राज्य के बेहतर खिलाड़ी
  • साले ने दी थी किडनी

बैडमिंटन स्पर्धा में जीता गोल्ड मेडल

“मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।” यह शायरी एक किडनी के बदौलत बैडमिंटन स्पर्धा में विश्व चैंपियन बने धर्मेंद्र पर एकदम सटीक बैठती है।

क्योंकि उन्होंने वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स की बैडमिंटन स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर न केवल सबको हैरत में डाला है। बल्कि देश का नाम भी पूरी दुनिया में रोशन किया है।

थाईलैंड के नाथोपोलो को हराया

नारकोटिक विभाग बाराबंकी में सुपरिटेंडेंट पद पर कार्यरत धर्मेंद्र सोती ने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हुए विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स की बैडमिंटन स्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीतकर बड़ा मुकाम हासिल किया है। उन्होंने 50-59 वर्ष आयु वर्ग के एकल फाइनल में थाईलैंड के नाथोपोलो को 10- 15, 15 -10, 15 -13 से शिकस्त देकर यह मुकाम हासिल किया है।

धर्मेंद्र एक ही किडनी पर जीवन जी रहे हैं। पहले उन्हें किडनी उनके छोटे भाई अवधेश ने दान की। जब वह भी किडनी खराब हो गई तो फिर से किडनी उनके साले ने उन्हें दान की। इतना कुछ होने के बाद भी धर्मेंद्र हौसला नहीं हारे और आज इस मुकाम को हासिल किया। जिसे अच्छे-अच्छे लोग हासिल करने में पीछे हट जाते हैं।

World Transplant Games

90 के दशक में थे राज्य के बेहतर खिलाड़ी

आपको बता दें कि धर्मेंद्र 90 के दशक में राज्य के बेहतर खिलाड़ी रहे हैं और राष्ट्रीय चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन भी किया था। लेकिन इसके बाद 2001 में उनकी दोनों किडनी खराब हो गई थी।

जिसके बाद उनका बचना नामुमकिन हो गया था। लेकिन उनके छोटे भाई अवधेश ने अपनी एक किडनी दान देकर उनको जीवनदान दिया और वह धीरे-धीरे खेल के मैदान में दोबारा लौटे। 2013 में दक्षिण अफ्रीका में वह विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स में हिस्सा लेने गए। वहां से रजत पदक जीतकर लौटे इसके बाद 2015 में विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स में उन्होंने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 1 स्वर्ण और रजत जीतकर इतिहास रचा था।

साले ने दी थी किडनी

वहीं धर्मेंद्र की किडनी दूसरी बार 2019 में विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स की तैयारी के दौरान खराब हो गई थी। उसके बाद उनके साले नितिन द्विवेदी ने उन्हें किडनी दान कर उनके हौसले को बढ़ाया और उन्होंने फिर अभ्यास शुरू किया और आज इस मुकाम को हासिल किया।

World Transplant Games

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धर्मेंद्र के मुताबिक कभी विश्व चैंपियन बनने के सपने के बीच उनकी दोनों किडनी खराब हो गई थी। पर ट्रांसप्लांट गेम्स में अब विश्व चैंपियन बनने का सपना पूरा हो सका।

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