इंडिया न्यूज, मेरठ।
State Regional District and all Frontal Org of RLD Dissolved : राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही बड़ा फैसला लिया है। चौधरी जयंत सिंह ने विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बड़ा निर्णय लेते हुए उत्तर प्रदेश के प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला और सभी फ्रंटल संगठनों को भंग कर दिया है। (State Regional District and all Frontal Org of RLD Dissolved)
सोमवार को रालोद के ऑफिशियल ट्विटर हैंडलर से ये बड़ी सूचना जारी की गई। रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह ने तत्काल प्रभाव से पार्टी का प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला संगठन के साथ ही सभी फ्रंटल संगठनों को भंग कर दिया है। जाहिर है, जल्द नए सिरे से संगठन का पुनर्गठन होगा।
संगठन की निष्क्रियता से हुई हार (State Regional District and all Frontal Org of RLD Dissolved)
विधानसभा चुनाव में संगठन की निष्क्रियता और पार्टी प्रत्ययाशियों के चयन को लेकर हुई हार पर उंगली उठ रही थी। अब असंतुष्ट नेताओं को संगठन में प्रमुख पद देकर संतुष्ट किया जाएगा। खराब प्रदर्शन करने वालों को संगठन में जगह नहीं मिलेगी। बागपत जनपद की शहर बागपत और बड़ौत विधानसभा सीटों पर दोबारा से कमल खिल गया है जबकि रालोद अपने गढ़ छपरौली को बचाने में कामयाब रहा। बागपत सीट से भाजपा के योगेश धामा ने 6733 वोट से रालोद के अहमद हमीद को हराया।
छपरौली से रालोद ने दर्ज की थी जीत (State Regional District and all Frontal Org of RLD Dissolved)
बड़ौत पर काफी करीबी मुकाबला रहा। यहां भाजपा के केपी मलिक ने 315 वोट से रालोद के जयवीर सिंह तोमर को हराकर जीत दर्ज की। छपरौली सीट से रालोद के अजय कुमार ने 29508 वोट से भाजपा के सहेंद्र रमाला को हराकर जीत दर्ज की। बागपत विधानसभा सीट पर शुरूआत में काफी करीबी मुकाबला रहा। मतगणना में कई बार उतार-चढ़ाव आता रहा। आखिर में भाजपा के योगेश धामा ने जीत दर्ज की और वह दोबारा विधायक बने।
जाट वोटरों में बिखराव से बिखराव से बिगड़ा खेल (State Regional District and all Frontal Org of RLD Dissolved)
भाजपा आखिर जाटों में बिखराव करने के साथ ही दलितों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रही। यही कारण रहा कि बागपत व बड़ौत विधानसभा सीट पर दोबारा से कमल खिल गया। भाजपा ने विकास योजनाओं के साथ ही सुरक्षा के मुद्दे पर हर वर्ग को अपने साथ जोड़ा तो पिछड़ी जातियों के लिए राशन वितरण योजना ने असर दिखाया। छपरौली में जरूर भाजपा की उम्मीद के अनुसार बसपा व कांग्रेस वोट नहीं बटोर सके। यही वजह रही कि रालोद अपने किले को बचाने में कामयाब रहा।
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