India News(इंडिया न्यूज़),Basti News: बस्ती जनपद के एक नर्सिंग होम की करतूत सामाने आई है जहां लालचियो के बीच एक नन्हीं जान फस गई है और 24 घंटे तक उसे अपने हक के लिए लड़ाई लड़ना पड़ा। पूरा मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के मालवीय रोड पर स्थित अनंता हॉस्पिटल का है जहां पर कुदरहा ब्लॉक के एक गांव से आए वीरेंद्र यादव के 8 दिन के मासूम बच्चे को भर्ती कराया गया। दरअसल वीरेंद्र की पत्नी की डिलीवरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुदरहा में हुई थी। जहां बच्चे की हालत खराब होने पर वहां मौजूदा नर्स सुमन ने कमीशन के चक्कर में वीरेंद्र यादव को सरकारी अस्पताल मे न भेजकर प्राइवेट नर्सिंग होम अनंता अस्पताल में बच्चे को ले जाने की सलाह दी। वीरेंद्र यादव के बच्चे को लेकर किसी तरह अनंता अस्पताल में पहुंचे। जहां बच्चे को भर्ती कराया गया। वहीं बच्चे के इलाज के नाम पर अस्पताल प्रबंधन ने वीरेंद्र यादव से लगभग ₹50000 वसूल लिया। उसके बाद भी जब बच्चे की हालत ठीक नहीं दिखी तो वीरेंद्र यादव ने अस्पताल प्रबंधन से डिस्चार्ज करने को कहा मगर बच्चे को ले जाने के बदले अस्पताल प्रबंधन लगभग 60000 की मांग करने लगा और वीरेंद्र यादव ने जब पैसे देने में इनकार किया तो अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को ले जाने से मना कर दिया।
यहां तक वीरेंद्र को डाक्टर ने बच्चे से मिलने से भी मना कर दिया। अपने बच्चे से 24 घंटे तक एक बाप दूर रहा और मिल भी नहीं पाया और उन्हें अस्पताल से बाहर कर दिया गया। मासूम बच्चा बिना मां और बाप के वेंटिलेटर पर पड़ा रहा और पिता अस्पताल की चौखट पर अपने बच्चे से मिलने की लगातार गुहार लगाता रहा। संवेदनहीन अस्पताल प्रबंधन का दिल जब नहीं पसीजा तो पीड़ित वीरेंद्र यादव ने डीएम से मिलकर पूरे मामले की शिकायत की जिसके बाद मौके पर जांच करने के लिए डिप्टी सीएमओ एके मिश्रा पहुंचे और बच्चे की हालत देखते हुए तत्काल उसे जिला महिला अस्पताल में रेस्क्यू करके बाहर निकाला। जहां जिला महिला अस्पताल में पहुंचते 8 दिन की मासूम जिंदगी की लड़ाई अनंता हॉस्पिटल से लड़ता रहा और बाप अपने बच्चे से मिलने के लिए तरसता रहा और हॉस्पिटल के डॉक्टरों की हैवानियत इस बात से लगाया जा सकता है। किसी के आंख के तारे को उससे छीन लिया जाए और उसकी कीमत लगा दिया गया तो इसे आप क्या कहेंगे और हुआ भी कुछ ऐसा अपनी सांस की एक एक पल की धड़कन आज इस बच्चे ने महिला अस्पताल पहुंचते ही दम तोड़ दी।
इस पूरे मामले को लेकर जांच करने पहुंचे डिप्टी सीएमओ एके मिश्रा ने कहा कि उन्होंने बच्चे को देखा है अभी बच्चा अच्छी हालत में लेकिन बच्चे के पिता इस अस्पताल के खर्च का वहन नहीं कर पा रहे हैं। जिस वजह से बच्चे को जिला महिला अस्पताल में भेजा जा रहा है। रही बात सरकारी अस्पताल की महिला नर्स सुमन द्वारा प्राइवेट अस्पताल में बच्चे को भेजने की तो इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।