(Warned of self-immolation, accused the government): चंपावत (Champawat) जिले के पर्वतीय क्षेत्र में सूखे की मार व सरकार की उदासीनता से किसान सदमे में है।
किसानों ने फसल बोने के साथ अपने सपने भी बोए हैं। मगर पिछले 5 महीने से बारिश ना होने के कारण जिले के काश्तकार आर्थिक तंगी से जूझने को मजबूर हैं। पिछले 5 महीने से बारिश ना होने से किसानों के खेत सूख चुके हैं।
क्षेत्र के किसानों ने कहा कि इलाके में लंबे समय से बारिश ना होने के कारण क्षेत्र में सूखे जैसे हालात पैदा हो गया है। जिसका सीधा असर फसल पर पड़ रहा है।
आगे कहा कि सूखे के कारण उनकी गेहूं, सरसों मटर,आलू की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। चंपावत जिले के पर्वतीय क्षेत्र में किसानों ने लाखों रुपए का आलू अपने खेतों में बोया था। लेकिन सूखे के कारण पूरी आलू की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है।
वही जिला किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष नवीन करायत ने बताया जिले में किसान सूखे की मार झेल रहे हैं। फसल चौपट होने से किसान कर्ज तक वापस नहीं कर पा रहे हैं। आगे कहा कि किसान कई बार सरकार व प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।
उन्होंने कहा किसानों के पास अब सामूहिक आत्मदाह करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। आगे कहा कि किसानों ने कहा चंपावत को आदर्श जिला बनाने की घोषणा तो कर दी। लेकिन सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया।
सरकार द्वारा किसानों को सिर्फ सपने दिखाए गए है। किसान कर्ज लेकर घर चला रहा है। लेकिन किसानों के दर्द को देखने व सुनने वाला कोई नहीं है। आपदा किसानों को उभरने नहीं दे रही है। किसान अपनी मेहनत को बर्बाद होते हुए देख रहा है।
किसानों ने कहा सीएम धामी का जिला होने के बावजूद आज किसान बुरे हालत में पहुंच चुका है। किसानों ने सरकार व मुख्यमंत्री धामी से किसानों का कर्जा माफ करने व क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है।
कुल मिलाकर चंपावत जिले के पर्वतीय क्षेत्र में किसानों की हालत काफी दयनीय नजर आ रही है। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
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