India News(इंडिया न्यूज़), Conservation Of Tigers: पूरे देश में बाघों के संरक्षण के मामले में उत्तराखंड अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश में बाघों की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बाद उत्तराखंड का तीसरे स्थान पर है। जबकि साल 2022 में हुई गणना के ताजा आंकड़े अभी तक जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन पिछले 5 महीनों में उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 13 बाघों की मौत हो चुकी है। जो वन विभाग के लिए भी चिंता का विषय है। हालांकि इन मौतों पर वन विभाग की तरफ से जांच की जा रही है कि आखिर बाघों की इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है।
साल 2018 में देश के सभी राज्यों में बाघों की गणना की गई थी। जिसके जारी आंकड़ों में उत्तराखंड देश के उन राज्यों में शुमार हुआ। जिसमें बाघों का संरक्षण तेजी से किया गया है। राज्य में राजाजी नेशनल पार्क और जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 2008 के आंकड़े के बाद बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है। साल 2008 में प्रदेश में 179 बाघ चिन्हित किए गए थे जबकि साल 2018 में इस संख्या में तेजी से उछाल आया और बाघों की संख्या 442 तक पहुंच गई साल 2022 में भी एक बार फिर बाघों की गणना की गई है।
लेकिन देश में अभी कई राज्यों के साथ-साथ उत्तराखंड में भी बाघों की संख्या के ताजा आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। लेकिन इन आंकड़ों के जारी होने से ठीक पहले उत्तराखंड वन विभाग की की चिंताएं भी बढ़ गई है। दरअसल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में संदिग्ध परिस्थितियों में लगातार बाघों की मौत का मामला सामने आ रहा है।
कुमाऊं कल रीजन के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अब तक 13 बाघों की मौत हो चुकी है। वैसे पिछले दिनों कॉर्बेट नेशनल पार्क एक बाघ शिकारियों के लगाए फंदे में फंसने से गंभीर रूप से घायल हो गई थी। जिससे बाघों की लगातार हो रही मौत ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में शिकारियों की सक्रियता का शक भी बढ़ा दिया है। हालांकि प्रदेश के वन मंत्री का कहना है कि इस मामले में जांच सौंप दी गई है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
जबकि वन मंत्री ने शिकारी के हाथों बाघों की मौत की थ्योरी को नकार दिया है। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ डॉक्टर समीर सिन्हा ने इन बातों से इनकार किया है कि कुमाऊं में बाघों की हो रही मौत के पीछे शिकारियों का हाथ है। डॉक्टर समीर सिन्हा कहते हैं कि जिन बाघों की बॉडी जंगलों में मिली है उनके शरीर के सभी अंग सुरक्षित है जिससे यह साफ है कि बाघों की हो रही मौत के पीछे शिकारी वजह नही है।
2018 में प्रदेश में हुई बाघों की गणना में उत्तराखंड के वन विभाग के अधिकारियों को खुश होने का मौका मिला था, लेकिन हाल ही में कॉर्बेट नेशनल पार्क से बाघों की मौत ने सरकार व अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। आनन-फानन में कुमाऊं रीजन के मुख्य वन संरक्षक को इन सभी मौतों पर जांच करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ डॉक्टर समीर सिन्हा का कहना है कि जिन विभागों की बॉडी बरामद की गई है। उन सभी बाघों की उम्र 8 से 10 साल है। जो बाघों की संख्या का बड़ा हिस्सा है। ऐसे में विभाग की प्राथमिकता है कि इस बात का पता लगाया जाए कि आखिर ये मौतें हुई कैसे।
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