India News (इंडिया न्यूज़), Hariyali Teej: हरियाली तीज, जिसे तीज भी कहा जाता है, नेपाल और भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जिसका मतलब होता है कि यह जुलाई या अगस्त महीने के बीच किसी भी समय पड़ सकता है। इस दिन, विवाहित और कन्या यौवन महिलाएं हरियाली वस्त्र पहनकर व्रत रखती हैं, पानी बारिश की बरसात होती है और पर्यावरण की हरियाली की महत्वपूर्णता को याद करती हैं। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य पतिव्रता धर्म का पालन करके भगवान शिव और पार्वती की देवी कामाख्या की कृपा प्राप्ति है।
#WATCH | Uttar Pradesh: Devotees take a holy dip in the Sangam River at Prayagraj and offer prayers on the occasion of Hariyali Teej. pic.twitter.com/lCjw8bYCCN
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 19, 2023
हरियाली तीज का महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि यह विवाहित महिलाओं को उनके पतियों की दीर्घायु और खुशियों की कामना करने का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, यह तीज व्रत भूकम्प क्षेत्रों में प्राकृतिक तबाहियों से बचाने और अपने पर्यावरण की सुरक्षा की महत्वपूर्णता को भी संजोता है। तीज का पर्व पारंपरिक रूप से हरियाली की बहार का संकेत माना जाता है, जिसका अर्थ है कि प्राकृतिक सौंदर्य और फलन-फूलन की अवधि शुरू हो गई है। यह पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है और यह समाज में समरसता, परंपरा और भ्रातृत्व की भावना को मजबूती देता है।
हरियाली तीज के दौरान, महिलाएं व्रत के नियमों का पालन करती हैं, जिसमें उन्हें खाने पीने की विशेष मात्रा और प्रकारों का पालन करना पड़ता है। व्रत के दिन में, महिलाएं भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और उनकी कृपा प्राप्ति की कामना करती हैं। उन्हें बरसात के दिन में नियमित अंगनों या खुले स्थान पर खेलने का अवसर भी मिलता है।
इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा भाषा, संगीत और नृत्य की प्रदीप्ति होता है। महिलाएं गीत गाती हैं और खुशियों का प्रकटीकरण करने के लिए नृत्य करती हैं। इससे उनकी सोशल बॉन्डिंग मजबूत होती है और समुदाय में खुशी का माहौल बनता है। हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण पर्व है जो महिलाओं के समृद्धि, सुख, और पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण मुद्दों को स्थायी रूप से याद दिलाता है। हरियाली तीज का व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाता है, जो भगवान शिव और पार्वती की कृपा प्राप्ति और अपने पतियों की दीर्घायु की कामना करती हैं। यहां कुछ मुख्य नियम हैं जिनका पालन करके आप हरियाली तीज का व्रत रख सकती हैं:-
व्रत की तैयारी: व्रत के दिन पूर्व, आपको सही तरीके से तैयारी करनी चाहिए। इसमें सफा सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए।
नियमित उपवास: व्रत के दिन, आपको पूरे दिन उपवास का पालन करना होगा। आपको खाने-पीने में सावधानी बरतनी होगी और सिर्फ फल, दूध, दही, घी, मक्खन, सिंघाड़े का आटा, आदि का सेवन कर सकते हैं।
पूजा और अर्चना: व्रत के दिन पर आपको भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए। पूजा में तूलसी, फूल, अर्क, दीपक, नैवेद्य, आदि शामिल होने चाहिए।
व्रत कथा सुनना: व्रत के दिन, हरियाली तीज की कथा को सुनना और पढ़ना चाहिए। यह आपके मनोबल को बढ़ाने और व्रत के महत्व को समझने में मदद करेगा।
फल अर्पण: व्रत के दिन, आपको भगवान को फल अर्पित करना चाहिए। इससे आपके व्रत का पुण्य बढ़ेगा।
स्त्राविमोक्ष: व्रत के दिन, जल और बरफ से शिवलिंग की पूजा कर स्त्राविमोक्ष करना चाहिए।
किंवदंति कहते हैं कि एक समय की बात है, एक कुलीन ब्राह्मण वंश की लड़की थी जिसका नाम पर्वती था। वह बहुत ही सुंदर और साध्वी आदर्श बालिका थी। उसके पिता की मृत्यु के बाद, उसका पारिवारिक जीवन खराब हो गया था और उसकी माता ने उसे जवानी में ही किसी समृद्ध ब्राह्मण के साथ विवाह करने का निर्णय लिया। पर्वती ने व्रत के दिन से ही भगवान शिव की पूजा और व्रत करना शुरू किया, क्योंकि उसे अपने सिर परिवार की भावनाओं का ध्यान देने का समय नहीं मिलता था। वह सफलता और सुख की कामना करने के साथ-साथ पतिव्रता धर्म का पालन करने की भी कोशिश करती थी।
एक बार हरियाली तीज के दिन, जब पर्वती ने अपने व्रत की पूजा कर ली और शिवलिंग पर जल अर्पित किया, वह भगवान शिव के सामने प्रगट हुईं। भगवान शिव ने उसे अपने पास बुलाया और उससे विवाह के बारे में पूछा। पर्वती ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और भगवान शिव से अपने पति की दीर्घायु और सुख-शांति की कामना की। भगवान शिव ने उसकी ईच्छा को सुनकर उसके पति की दीर्घायु और खुशियों की कामना की और उसके पति की आयु को बढ़ा दिया। इसके बाद से, हरियाली तीज को व्रत का त्योहार मनाने का परंपरित अर्थ बन गया, जिसमें विवाहित महिलाएं भगवान शिव और पार्वती की कृपा प्राप्ति और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।