इंडिया न्यूज: (14 tigers died in Corbett Park due to mutual conflict) रामनगर के विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में पिछले 5 वर्षों में 14 से ज्यादा मर बाघों की मौतों के मामले भी सामने आये है। जिसमे अधिकतर कारण आपसी संघर्ष व प्राकृतिक मौत रहा। सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि इसकी बढ़ती संख्या को कैसे बचाया जाए।
विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों के घनत्व के मामले में अव्वल स्थान रखता है।जिनके दीदार के लिए देश विदेश से सैलानी लाखों की संख्या में हर वर्ष कॉर्बेट पार्क पहुंचते है। कॉर्बेट नेशनल पार्क में प्राकृतिक आवास, प्राकृतिक व पक्के वॉटर होल और भरपूर पानी बाघों को सुरक्षित माहौल देता है। कॉर्बेट पार्क में जहां 2006 में मात्र 150 बाघ थे। वहीं 2018-19 में इनकी संख्या 250 से ज्यादा है। अगर पिछले 5 वर्षों की बात करें तो बाघों की मौतों के मामले भी सामने आये है। जिसमे पिछले 5वर्षों में मर 14 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है।जिसमे कारण आपसी संघर्ष व प्राकृतिक मौत कारण रहे।
अगर पिछले 2010 से 2016 की बात करें तो वन विभाग में 20 से ज्यादा बाघों की मौतों के मामले सामने आए है।जबकि अब मौतों के मामले भी घट रहे है।वहीं बाघों की मौतों के आंकड़ों में कमी आने से कॉर्बेट प्रशासन भी गदगद नज़र आ रहा हैं। वहीं, पक्षी प्रेमी कहते है कि कॉर्बेट पार्क व इसके आस पास के क्षेत्रों में जो बाघों की मौत हुई है वो आपसी संघर्ष व प्राकर्तिक मौतें हुई है। जब कोई भी क्षेत्र में बाघ बढ़ते है तो टेरिटोरियल फाइट(वर्चस्व की लड़ाई ) होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।वे कहते है राष्ट्रीय पशु होने के साथ साथ बाघ का संघरक्षण में एहम महत्व है।
सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि इसकी बढ़ती संख्या को कैसे बचाया जाए।नए संघरक्षित क्षेत्र घोषित करने की जरूरत है और इनके वासस्थल में सुधार की जरूरत है। वहीं इस विषय मे कॉर्बेट पार्क के डायरेक्टर का कहना है कि पिछ्ले 5 से 6 वर्षों में 14 से 15 बाघों की मृत्यु रिकॉर्ड हुई है। उन्होंने कहाँ जिसके कई कारण है,वहीं उन्होंने बताया कि एक ही लैंडस्केप में 2टाइगर्स के होने से इंफाइटिंग,आपसी संघर्ष के मामलों में लगातार कमी आ रही है।
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