Kanpur Fire Case: (FIR registered against officers and police personnel in the fire incident) कानपुर देहात में मैथा तहसील के मड़ौली गांव में जो हुआ उसे हादसा नहीं हत्या की कहेंगे। प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने गई थी। उसी दौरान आग लगने से प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा उर्फ शिवा की कब्जे वाले स्थान पर बनी झोपड़ी में जलकर मौत हो गई।
आग लगने से प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा उर्फ शिवा की कब्जे वाले स्थान पर बनी झोपड़ी में जलकर मौत हो गई। और जहाँ गांव के लोगों पर जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी थी वो भी वीडियो बनाते रहे। मां-बेटी की मौत के बाद मामले की लीपा-पोती का प्रयास शुरू हुआ। एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने बिना जांच के मातहतों के कहे अनुसार बयान दे दिया कि मां-बेटी ने खुद आग लगा ली है। इसी तरह का बयान डीएम नेहा जैन की तरफ से भी आया। अगर दोनों ने आग लगाई भी तो अतिक्रमण हटाए जाने के दौरान मौजूद प्रशासनिक टीम ने उन्हें क्यों नहीं बचाया। गुनाहगार वो भी है जो तमाशा देखते रहे। वीडियो बनाते रहे और दो जिंदगियां जलती रहीं। ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
बात करें तो अब पूरे मामले में राजनीति हो रही है, लेकिन मां-बेटी की मौत का जिम्मेदार कौन है? प्रशासन की तरफ से जांच के आदेश दिए गए हैं। मामले की जांच होगी और रिपोर्ट आएगी। साथ कुछ अफसरों पर कार्रवाई भी होगी, लेकिन अब दो जिंदगियों को वापस नहीं लाया जा सकता है। अगर मौके पर मौजूद प्रशासनिक अफसरों और लोगों ने थोड़ी बहुत संवेदना व संवेदनशीलता दिखाई होती, तो शायद ये घटना नहीं होती। मृतका प्रमिला के पति कृष्ण गोपाल और बेटे शिवम ने प्रशासनिक अधिकारियों व गांव के कुछ लोगों पर झोपड़ी में आग लगाने का आरोप लगा रिपोर्ट दर्ज कराई है।
मड़ौली गांव के अशोक दीक्षित, उसके भाई अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, रूरा इंस्पेक्टर दिनेश कुमार गौतम, लेखपाल अशोक सिंह, विशाल, जेसीबी चालक दीपक, एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, तीन लेखपाल अज्ञात, गांव के 10-12 अज्ञात, 12 से 15 महिला व पुरुष पुलिसकर्मी।
इन सभी के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, घर को नष्ट करने के आशय से आग लगाने की कुचेष्टा करना, किसी की संपत्ति का नाश करने, गाली गलौज और एक राय होकर घटना को अंजाम की देने की धारा में लगाई है। मामले में दर्ज धाराओं में गंभीर सजा मिल सकती है।
धारा 302- हत्या करना-आजीवन कारावास या मृत्यु दंड (हत्या की गंभीरता के अनुसार), साथ में अर्थ दंड।
धारा 307- हत्या का प्रयास-10 साल की सजा व जुर्माना।
धारा429- किसी भी जीव जंतु का वध करने के आशय से विष देना, विकलांग करने या निरुप्रयोगी बनाने की कुचेष्टा करना- 5 साल की सजा। साथ में अर्थदड़।
धारा 436- घर आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ दरा कुचेष्टा करना-10 साल से आजीवन कारावास तक की सजा व अर्थदंड।
धारा 34- किसी अपराध के लिए एक से अधिक व्यक्तियों दरा सामान्य आशय से करना।
धारा 323- जानबूझकर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुंचाना -एक साल की सजा व एक हजार रुपये अर्थदंड।