India News (इंडिया न्यूज़), Rashid Hashmi, “lappu si mohabbat, jhingur sa pyaar”: सीमा ने सचिन से प्यार किया, ऑनलाइन इज़हार किया, सरहद पर इंतज़ार किया, फिर बॉर्डर पार किया। सचिन और सीमा की मुहब्बत ‘लप्पू’ सी नहीं हो सकती। ‘लप्पू’ तो बाज़ार बन गया है। बीच चौराहे पर कहानी है, लूट सको तो लूट लो। सीमा को कोई फ़िल्म ऑफ़र कर रहा है तो कोई राजनीति में आने का न्यौता दे रहा है। पड़ोसन कहती है- “लप्पू सा सचिन है…वो झींगुर सा लड़का…बोलता वो है ना…ऐसा क्या है सचिन में… उससे प्यार करेगी सीमा”। तुर्रा ये कि सीमा हैदर के पड़ोसन के इस वीडियो पर हज़ारों मीम्स बने। अब इतने सब के बीच ‘रसोड़े में कौन था ?’ फ़ेम म्यूज़िक प्रोड्यूसर यशराज मुखाते ने इस पर गाना बनाया है, जो काफ़ी तेज़ी से वायरल भी हो गया। मेरा मानना है कि ये प्यार, इश्क़ और मुहब्बत का तमाशा है।
यूनानी दार्शनिक प्लेटो के मुताबिक़ प्रेम एक दिमाग़ी बीमारी है। मदर टेरेसा के अनुसार किसी को पा लेना प्यार नहीं कहलाता, प्यार तो किसी के दिल में जगह बनाने को कहते हैं। रोमियो-जूलियट प्यार की नज़ीर हैं, विलियम शेक्सपियर द्वारा रचित सबसे दुखद प्रेम कहानी। लैला-मजनू का प्यार अमर है, शीरी-फ़रहाद की मुहब्बत में कसक है। सीमा-सचिन की प्रेम कहानी में एक्शन-इमोशन-ड्रामा-कॉमेडी सब कुछ है, बस प्यार की कसक नहीं।
गीतकार ‘गुलज़ार’ कलम तोड़ कर कहते हैं- सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो। प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं, एक ख़ामोशी है, सुनती है कहा करती है।” अफ़सोस ‘लप्पू’ से प्यार में ख़ामोशी नहीं, चिल्लाहट है। अफ़सोस ‘झिंगुर’ सी मुहब्बत में रूह ही नहीं है। ‘साहिर’ की कलम पत्थर की मूरत से मुहबब्त का इरादा रखती है, जिसकी तमन्ना परस्तिश की है और इरादा इबादत का। सीमा-सचिन की ठिठोली को प्यार की सादगी समझने की ज़रूरत है। प्यार प्रदर्शन और सार्वजनिक आलिंगन का मोहताज नहीं, प्यार तो नूर की बूंद है, सदियों से बहा करती है।
मैं प्यार में इज़हार के सार्वजनिक प्रदर्शन का हिमायती हूं, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर भोंडा प्रदर्शन पवित्र प्रेम को कलंकित करने जैसा ही है। प्रेम शाश्वत है और सत्य भी। यह सृष्टि का आधारभूत तत्व है, आत्मा की उमंग है। प्रेम में बलिदान, त्याग और समर्पण सब कुछ है। ऐसी भावना जिसे बहुत बार जताने और बताने की ज़रूरत नहीं होती। प्रेम लंपट, फूहड़, मज़ाकिया, सड़कछाप नहीं हो सकता। प्रेम रूह से महसूस किया जाने वाला अलौकिक और अतृप्त आनंद है। सीमा हैदर और सचिन मीणा का प्यार असली है या नक़ली, इसका फ़ैसला करने का अधिकार मुझे क्या किसी को नहीं। लेकिन प्रेम उमंग में सराबोर इस जोड़े को समझना होगा कि उनकी भावना के बाज़ारू घालमेल ने विचित्र स्थिति पैदा कर दी है। पाकिस्तान से आई सचिन की प्रेयसी को भी समझना होगा कि बाज़ार का क़ब्ज़ा सिर्फ़ प्रेम पर नहीं, उनकी संवेदनाओं पर भी होता जा रहा है।
सचिन मीणा और सीमा हैदर टीवी पर चकाचक टीआरपी हैं। दोनों स्क्रीन पर आकर ख़ुद को तृप्त महसूस करते हैं। लेकिम प्रेम अतृप्त है, तृप्ति तो काम में होती है और उसके बाद फिर ऊब। प्यार आत्मा है तो टीवी पर चेहरा चमकाना देह का विषय है। यही फ़र्क़ मिट रहा है। सीमा समझो, तुम्हारा प्रेम देह तक सीमित किया जा रहा है, तुम दोनों प्रायोजित पूंजीवाद से संचालित होने लगे हो। अगर कोई प्रेम में कहने, सुनने या दिखाने की बात सोचता है तो वो इस नैसर्गिक भावना को समझने वाला क़तई नहीं हैं। इंडिया (भारत नहीं) के प्रेमी जोड़े को आईना दिखाना ज़रूरी है- प्यार सड़क पर आकर, बाज़ार में नाच कर वात्सल्य और स्नेह का स्वाभाविक सम्प्रेषण नहीं रह जाता बल्कि मानवीय संबंधों का दिखावा करने का निकृष्टतम कृत्य है। तो सीमा और सचिन तुमसे करबद्ध निवेदन है- अपने प्यार को ‘लप्पू’ और ‘झिंगुर’ सा मत होने देना।
लेखक राशिद हाशमी इंडिया न्यूज़ चैनल के कार्यकारी संपादक हैं