Mahila Naga Sadhu: महिला नागा साधु को खुद का करना होगा है पिंडदान, बेहद कठिन होती है इनकी तपस्या

Mahila Naga Sadhu: भारत को साधु संतों का देश कहा जाता है। साधुओं में एक नागा साधु भी होते हैं। नागा साधुओं की जिन्दगी बेहद कष्ट दायक होती है।

तन पर धुनी की राख, माथे पर तिलक और चेहरे पर अग्नि जैसी तेज इन्हें और भयावह बना देती हैं। वहीं नागा साधु साधारण जन-जीवन से अलग एकांत में अपना जीवन यापन करते हैं। नागा साधुओं को हमेशा शांत देखा जाता हैं। परन्तु कोई इन्हें छेड़ दे तो फिर इनका गुस्सा आपे से बाहर होता है। फिर इनके गुस्से को शांत करना भी बहुत कठिन हो जाता है।

निवस्त्र रहते है नागा साधु

नागा साधु जो विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं। उन्हें बिना कपड़ों के रहना होता हैं। नागा साधुओं पर सर्दी, गर्मी या बरसात का इनके शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता है। इनको अपना जीवन जीने में इतनी कठिनाइयां होती है कि चाहे कितनी भी गर्मी हो या सर्दी ये बिना कपड़ों के ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं।

पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी होती हैं। ऐसे में हमारे मन में सवाल उठता है कि क्या महिला नागा साधु भी पुरुषों की तरह ही निर्वस्त्र रहती है। क्या वो भी पुरुषों की तरह अपने शरीर पर राख लगाकर ही रहती हैं।

नागा साधुओं का जीवन साधारण जीवन से अलग होने के कारण ये कम ही दिखाई देते हैं। बहुत कम ऐसा मौका होता है, जब इन्हें देखा जाता है। ये कुंभ के मेले में या फिर किसी बड़े धार्मिक कार्यक्रम के दौरान ही दिखाई देते हैं। इस दौरान इनके साथ महिला नागा साधुओं को भी देखा जाता है।

अपने हाथों करना पड़ता है, खुद का पिंडदान

महिला नागा साधु बनने में कठिन परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है। इन्हें 6-12 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। इसके बाद जब ये पूरी तरह खुद को भगवान के चरणों में समर्पित कर देती हैं। तब गुरू की आज्ञा लगने के बाद महिला नागा साधु बनने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है।

तब गुरू की आज्ञा अनुसार उन्हें अनुमति दी जाती है। फिर उन्हें खुद अपने हाथों से अपने आप का जीते जी पिंडदान करना पड़ता है। वहीं उनके सिर का मुंडन कर स्नान के बाद पूरी विधि विधान के साथ इन्हें नागा साधु बनाया जाता है।

अवधूतानी भी कहा जाता है

महिला नागा साधु बनने के बाद इनका पूरा जीवन ईश्वर की चरणों में समर्पित करना पड़ता है। ये सदैव ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं, इनकी सुबह ईश्वर की उपासना से शुरू होती है और दिनभर इन्हें भगवान की पूजा करनी पड़ती है। जागने से लेकर सोने तक ये पूजा-पाठ में लगी रहती हैं। महिला नागा साधुओं को अन्य साध्वियां माता कहकर बुलाती है। वहीं इन्हें नागिन, अवधूतानी कहकर भी संबोधित किया जाता है।

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Anubhaw Mani Tripathi

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