India News (इंडिया न्यूज़), Mussoorie News: मसूरी में मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज और मसूरी वासियों ने प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट के 148 जन्मदिन से पूर्व जिम कॉर्बेट के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनको याद किया गया। मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि जिम कॉर्बेट का 148 व जन्म दिवस है और मसूरी से उनका काफी गहरा नाता रहा है।
जिम कॉर्बेट के पिता मसूरी के पोस्ट मास्टर के पद पर तैनात थे। कॉर्बेट के माता-पिता क्रिस्टोफर विलियम कॉर्बेट और मैरी जेन की शादी 13 अक्टूबर, 1859 को मसूरी के लंढौर क्षेत्र के चार दुकान में सेंट पॉल चर्च में हुई थी। क्रिस्टोफर लंढौर में पोस्ट मास्टर थे। 1869 में उनका तबादला नैनीताल हो गया था वह 1875 में नैनीताल में जिम कॉर्बेट का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि जिम कॉर्बेट अपनी जवानी के समय पर अक्सर मसूरी आया करते थे क्योंकि उनके काफी परिजन मसूरी रहते थे और यहां पर भी वह शिकार करना पसंद करते थे । कॉर्बेट द्वारा मसूरी में एक शेरनी रखी हुई थी जिससे वह बहुत प्यार करते थे। जिसकी फोटो भी उनके पास मौजूद है।
उन्होने बताया कि जिम कार्बेट अपने वफादार कुत्ते राबिन के साथ पैदल शिकार करते समय कई आदमखोर बाघों और तेंदुए को मारने के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने कई किताबें भी लिखी जिनमें आदमखोरों के साथ उनके साहसिक कारनामों का दिलचस्प विवरण किया गया है। उन्होंने मैन-ईटर्स ऑफ कुमाऊं , जंगल लोर और अपने शिकार और अनुभवों का वर्णन करने वाली अन्य किताबें लिखीं। वह एक बेहतरीन फोटोग्राफर बन के साथ उन्होंने भारत के वन्य जीवों संरक्षण को लेकर भी लोगों को जागरूक करने का काम किया।
अपनी छठी पुस्तक, ट्री टॉप्स को समाप्त करने के कुछ दिनों बाद दिल का दौरा पड़ने से कॉर्बेट की मृत्यु हो गई और उन्हें न्येरी के सेंट पीटर एंग्लिकन चर्च में दफनाया गया। गोपाल भारद्वाज ने कहा कि जिम कॉर्बेट जानवरों को लेकर का सम्मानों को ज्ञानी थे और वह जानवरों के बारे में बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं। उन्होंने कहा कि जिम कॉर्बेट एक बहुत बड़े शिकारी थे और वह मानव को खाने वाले शेर और बाघ को मारा करते थे। उन्होंने बताया कि जिम कॉर्बेट बहुत ही अच्छे फोटोग्राफर थे और उनके द्वारा खीची हुई फोटो और नेगेटिव उनके पास मौजूद है। उन्होंने कहा कि उनके पास जिम कॉर्बेट द्वारा जंगल में खाना बनाए जाने को लेकर इंग्लैंड से मंगाया गया कुकर और स्टोव मौजूद है।
उन्होंने कहा कि जिस महिला को जिम कॉर्बेट द्वारा सम्मान दिया गया था उसे महिला द्वारा जिम कार्बेट के समान को उनको दिया गया था जो उनके पास आज भी संरक्षित कर रखा हुआ है। उन्होने बताया कि जिम कॉर्बेट अक्सर मसूरी के माल रोड मे पैदल और डांडी से घूमा करते थे और वह डांडी जिम कार्बेट द्वारा मसूरी में निवास करने वाले एक मुस्लिम परिवार को दान कर दी थी। उन्होंने कहा कि जिम कॉर्बेट जब मसूरी आते थे तो मसूरी के सेंट पॉल चर्च में हमेशा प्रार्थना के लिए आया करते थे।