India News (इंडिया न्यूज़), Neerja Bhanot: 5 सितंबर 1986 एक ऐसा दिन जिसे देश कभी नहीं भूल सकता। एक ऐसी बहादुर क्रॉस एयर होस्टेस जिसने पैकिस्तान के कराची में हुए एक हिजैकिंग के दौरान अपनी जान की बाजी लगाई थी। उन्होंने अपनी जान की आहुति दी और देश के लिए बहुत बड़ी पराक्रम किया। नीरजा आम लड़की की तरह दिल खोल कर जीने वाली युवती थी। उसे राजेश खन्ना के गाने पसंद थे। आम लड़कियों से नीरजा में कुछ अलग था तो वह उनका जज्बा, हिम्मत और हौसला था। शायद तभी इतनी कम उम्र में नीरजा ‘हीरोइन ऑफ हाईजैक’ बन गई। नीरजा भनोट 5 सितंबर 1986 को शहीद हुई थी।
नीरजा भनोट की कहानी एक बहादुर और समर्पित महिला की है, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाई ताकि दूसरों की जान बच सके। नीरजा भनोट, जिनका पूरा नाम नीरजा कुमारी भनोट था, 7 सितंबर 1963 को भारत के मुंबई में पैदा हुई थी। वह बचपन से ही एक बहादुर और साहसी लड़की थी। उसने अपनी पढ़ाई की भी मुंबई में की और एक उच्च शिक्षा प्राप्त की।
नीरजा ने 1985 में एयर होस्टेस के रूप में काम करना शुरू किया और पाकिस्तान के कराची के दिशा में उसकी सफर का हाइलाइट था। 5 सितंबर 1986 को, जब उनकी उड़ान पैकिस्तान के कराची से फ्रैंकफर्ट, जर्मनी जा रही थी, उसके विमान में एक जिहादी आतंकवादी समूह ने हिजैक किया। नीरजा ने इस कठिन परिस्थिति में बचाव के लिए अपनी जान की बाजी लगाई। वह यात्रीगण की सुरक्षा के लिए लड़ी और हिजैकरों की दहलीज़ पर खड़ी होने के बाद उनमें से एक को गोली मारकर धमकी दी। इसके बाद, उन्होंने एक संदेश दिया कि विमान की बिना शराबे और नॉनवेजियन हुकूम के उड़ान नहीं कर सकता है।
इसके परिणामस्वरूप, विमान का पायलट ने विमान को एक पहिया खोलकर रोका, जिससे यात्रीगण की जानें बचाई जा सकीं। तृतीयकशास्त्रीय के आत्महत्या के बाद, जिहादी आतंकवादी ने नीरजा की जान ले ली। नीरजा भनोट की यह बहादुरी और साहस ने उन्हें भारत और दुनिया भर में महानतम शहीदों में से एक बना दिया। उन्हें उनके साहस और सेवा के लिए सम्मानित किया गया है और उनकी कहानी एक प्रेरणास्त्रोत है।
नीरजा भनोट की कहानी ने दुनिया को यह सिखाया कि व्यक्तिगत साहस और प्रामाणिकता के साथ, एक व्यक्ति बड़ी बदलाव ला सकता है। उनकी बलिदानी जीवन ने एक सशक्त और निर्भीक महिला की मिसाल प्रस्तुत की, जो किसी भी परिस्थिति में अपने लक्ष्यों के लिए खड़ी हो सकती है।
नीरजा की कहानी बॉलीवुड फिल्म “नीरजा” के माध्यम से भी प्रस्तुत की गई, जिसमें सोनम कपूर ने उनकी भूमिका निभाई थी। इस फिल्म के माध्यम से भी उनके वीरता और साहस का सम्मान किया गया था और उनके जीवन की महत्वपूर्ण पलों को दर्शाया गया था।
नीरजा भनोट की कहानी हमें याद दिलाती है कि हमारी साहस और संघर्ष भरे जीवन में हमें अपने मानसिकता को मजबूत रखना चाहिए और दूसरों की सुरक्षा और कल्याण के लिए हमें उत्साहित रहना चाहिए। नीरजा भनोट की स्मृति को सतत जिन्दा रखकर हम उनके योगदान को सलाम करते हैं।
नीरजा भनोट की कहानी ने भारतीय समाज में महिलाओं के साथ उनके साहस और बलिदान की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमोट किया। वह एक आदर्श है, जो हर किसी को सिखने के लिए प्रेरित करता है कि जीवन की सबसे मुश्किल समस्याओं का सामना भी संभव है।नीरजा की कहानी ने स्पष्ट किया कि सामाजिक समर्थन और साथीता बड़े महत्वपूर्ण होती हैं, जो हर किसी को अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं। वह एक नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारी को समझती थी और उसने इसे समय आने पर निभाया।
नीरजा भनोट की कहानी ने हमें याद दिलाया कि हम सभी में समर्पण और साहस की शक्ति होती है, और हम जब जरूरत होती है, तो हम अपनी क्षमताओं का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं। नीरजा भनोट की याद में, हम उनके जीवन को आदर्श बना सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संकल्पबद्ध रह सकते हैं।
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