India News (इंडिया न्यूज़), मुक्तेश्वर “New Parliament” : भारत के नए संसद भवन में कुमाऊं की ऐपण कला को एक स्थान दिया गया है गई हैं। अब देश भर के लोग उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोककला को देखें व उसके बारे में जानने को उत्सुक होंगे। ऐपण कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्यरत मुक्तेश्वर की हेमलता कबडवाल ने भारत के विभिन्न राज्यों के कलाकारों के साथ मिलकर संसद भवन के लिए वॉल पेंटिंग बनाई गई है।
नए संसद भवन में प्रदर्शित यह पेंटिंग आर्ट गैलरी के तहत जन दीवार में जन-जननी-जन्मभूमि की थीम पर तैयार किया गया है। 80 फीट की यह पेंटिंग दुनिया की अब तक की सबसे लंबी पेंटिंग में शामिल है। जन जननी जन्मभूमि परियोजना के तहत पूरे भारत की महिला कलाकारों को केंद्र सरकार द्वारा नए संसद भवन में पेंटिंग बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। परियोजना के तहत कलाकारों को अपनी लोक कलाओं का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया गया। कलाकारों का चयन ललित कला अकादमी द्वारा किया गया था। उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने वाली मुक्तेश्वर निवासी हेमलता कबडवाल ने दीवार पर लोक कला का चित्र लगाया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर पीपुल्स वॉल पेंटिंग का भी अनावरण किया।
हेमलता का कहना है कि हाथ से बने कागज के 80 फीट लंबे पैनल पर सभी कलाकारों ने अपनी लोक कला को उकेरा है. कलाकारों को अपने क्षेत्र से जुड़े त्योहारों, त्योहारों और मेलों के आधार पर चीजों का निर्माण करना होता था। इस पर उन्होंने दिवाली के मौके पर हर घर में बनने वाली लक्ष्मी चौकी को चुना। उन्होंने करीब एक मीटर में चौकी वसोधरा और लताएं बनाईं। हेमलता बताती हैं कि पेंटिंग बिहार में बनी थी। सभी राज्यों के लोक कलाकार जनवरी में वहां एकत्र हुए और सात दिनों की अवधि में परियोजना को आकार दिया। चित्रों में भारत के तीर्थ स्थल, राज्यों की लोक कला, गंगा नदी, जनजातीय कला और दैनिक जीवन से जुड़ी गतिविधियाँ शामिल हैं।
नए संसद भवन के लिए पेंटिंग प्रोजेक्ट में भाग लेकर गर्व महसूस हो रहा है। इतने बड़े मंच पर लोक कला के अनुप्रयोग को लेने का अवसर देने के लिए मैं सरकार की आभारी हूं। उत्तराखंड कला और संस्कृति से समृद्ध है। कलाकार भी सामने आ रहे हैं। अगर इसे बिहार की मधुबनी की तरह प्रोत्साहन मिलता रहा तो ऐपण कला को बढ़ावा मिलेगा और कला वैश्विक हो जाएगी।
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Report By: Kashish Goyal