Old Pension Scheme: (The problems of old pension scheme may increase, Will not be able to get additional loan): राज्यों को आने वाले दिनों में आर्थिक तौर पर समस्या का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अब केंद्र सरकार ने नियमों में थोड़ा बदलाव किया है, जिसके तहत पुरानी पेंशन योजना लागू करने वाले राज्यों को वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र से अतिरिक्त कर्ज नहीं मिल सकेगा। अब अगर केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त कर्ज नहीं मिलेगा तो इन राज्य सरकारों के लिए चिंता का कारण बन सकता हैं। योजना आयोग के पूर्व चेयरमैन ने चिंता जाहिर की है।
कुछ दिनों पहले गैर बीजेपी शासित कई राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का एलान किया था। हालांकि इन राज्यों को आने वाले दिनों में आर्थिक तौर पर समस्या का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अब केंद्र सरकार ने नियमों में थोड़ा बदलाव किया है, जिसके तहत पुरानी पेंशन योजना लागू करने वाले राज्यों को वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र से अतिरिक्त कर्ज नहीं मिल सकेगा।
दरअसल, बात ये है कि नए पेंशन सिस्टम के तहत राज्य सरकारें अपना और कर्मचारी की सैलरी का एक हिस्सा पेंशन फंडिंग रेगुलेटरी डेवलेपमेंट अथॉरिटी को देते हैं, जिसके बाद ये पैसे कर्मचारी को पेंशन के रूप में दिए जाते हैं। पेंशन फंडिंग एडजस्टमेंट के तहत राज्य सरकारें केंद्र से अतिरिक्त कर्ज ले सकती हैं। ये अतिरिक्त कर्ज राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का तीन फीसदी तक हो सकता है। लेकिन छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और झारखंड ने नया पेंशन सिस्टम छोड़कर पुरानी पेंशन योजना लागू ही कर दी है। ऐसे में वित्तीय वर्ष 2023-24 में इन राज्यों को केंद्र सरकार अतिरिक्त कर्ज देने से इंकार कर सकती है।
जान ले कि पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारी को उसकी अंतिम सैलरी की आधी रकम रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर मिलती है। इस पुरानी पेंशन योजना से राज्य सरकारों के खजाने पर भारी दबाव पड़ेगा। खासकर तो पंजाब जैसे राज्य के लिए ये चिंता की बात हो सकती है क्योंकि पंजाब पर तो पहले से ही हजारों करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके अलावा राजस्थान का भी हाल अलग नहीं है। अब अगर केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त कर्ज नहीं मिलेगा तो इन राज्य सरकारों के लिए चिंता का कारण बन सकता हैं।
कई नीति नियंताओं ने राज्यों द्वारा ये पुरानी पेंशन योजना को लागू करने पर चिंता भी जाहिर की है। इसकी वजह ये है कि पुरानी पेंशन योजना लागू होने से राज्यों के पास शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत कम पैसा बचेगा। इसके अलावा योजना आयोग के पूर्व चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर चिंता जाहिर की है।
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