India News (इंडिया न्यूज़), Secret of Nidhivan: धार्मिक नगरी वृन्दावन के निधिवन वाणी धाम कृष्ण भगवान के आद्य लीला के स्थलों में से एक है, जहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के आद्य लीलाएं चर्चित हैं। यह जगह भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और वहां आज भी श्रद्धालु जाते हैं ताकि वे इस मान्यता से जुड़े रह सकें। रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है। भगवान कृष्ण और राधा रानी के लिए शयन के लिए पलंग लगाया जाता है।
सुबह बिस्तरों के देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद भी ग्रहण किया है। लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत हाते हैं।
निधिवन, भगवान श्रीकृष्ण के लीलाओं के प्रसिद्ध स्थलों में से एक है और इसका इतिहास पौराणिक है। निधिवन का नाम उस जगह के वृक्षों और वनों के अधिष्ठाता निधिवान से प्राप्त हुआ है। यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण के वाणी धाम के रूप में महत्वपूर्ण है। निधिवन का इतिहास मुख्य रूप से महाभारत काल में जुड़ता है, जब पांडव युद्ध के बाद हरिद्वार जा रहे थे और वहां श्रीकृष्ण के साथ रुके थे। इस अवसर पर उन्होंने निधिवन में अपने दोस्तों और गोपियों के साथ रासलीला के रूप में अपनी दिव्य लीलाएं आयोजित की थीं। इसलिए, निधिवन को भगवान के प्रेम और भक्ति के स्थल के रूप में मान्यता दी जाती है।
निधिवन के वन में हजारों वर्ष पुराने वृक्षों की चायनिका होती है, जिन्हें “राधाकृष्ण प्रेम की वृक्षिका” कहा जाता है, जो भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। निधिवन का यह माहत्म्य भगवान कृष्ण के अद्वितीय भक्ति और प्रेम के साथ जुड़ा हुआ है और यहां आने वाले भक्त इस दिव्य वातावरण में ध्यान, भजन, और मेधावी विचारणा का आनंद लेते हैं।
निधिवन के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण घटना है, जो इस स्थल को और भी पवित्र बनाती है। यह घटना है “निधिवन लीला” की, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के अलौकिक लीलाएं घटित हुईं, जिनमें वह अपने भक्तों और गोपियों के साथ खेलते थे। इसे भगवान कृष्ण की अत्यंत प्रेम और भक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
निधिवन का वातावरण आज भी प्राचीन जमाने की यादों को महसूस कराता है और भक्तों को भगवान के प्रति उनकी अद्वितीय प्रेम और सेवा की याद दिलाता है। वहां अधिकांश भक्त भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं, भजन करते हैं और अपने आत्मिक सफलता की प्राप्ति के लिए तपस्या करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि जो रात में होने वाले भगवान श्री कृष्ण और राधा के रास को देख लेता है वो पागल या अंधा हो जाता है। यही वजह है कि निधिवन के आसपास मौजूद घरों में लोगों ने उस तरफ खिड़कियां नहीं लगाई हैं। बता दें कि वहां कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद करा दिया है। इसके साथ ही आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता।
निधिवन क्षेत्र के स्थानीय लोग इस स्थल को आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व के साथ देखते हैं और इसके संबंध में विशेष भावनाओं के साथ जुड़े रहते हैं। वे निधिवन को भगवान श्रीकृष्ण के लीलाओं के अद्वितीय स्थल के रूप में मानते हैं और इसके आस-पास के वनों और पृष्ठभूमि को भी पौराणिक महत्व से युक्त मानते हैं।
उनके लिए निधिवन एक साधना और ध्यान का स्थल है जो आध्यात्मिक उन्नति और भगवान के प्रति प्रेम की ऊंचाइयों को प्राप्त करने में मदद करता है। वे इस स्थल का संरक्षण करने में भी संलग्न हैं ताकि यह महत्वपूर्ण स्थल आने वाले भक्तों के लिए सुरक्षित और पवित्र रूप से बना रहे। इसके अलावा, वहां के स्थानीय लोग अक्सर भक्तों की धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं और उन्हें इस स्थल के माहौल का सार्थकानुभव करने के लिए दिशा-निर्देशन प्रदान करते हैं।
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