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Shri Prakash Shukla : एक पहलवान जो बन गया कुख्यात माफिया डॉन, जानें श्री प्रकाश शुक्ल की पूरी कहानी

• LAST UPDATED : April 27, 2023

INDIA NEWS (इंडिया न्यूज़), Shri Prakash Shukla : 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गैंगस्टर पैदा हुआ जो आज भी किस्से-कहानियों में जिंदा है। इस गैंगस्टर ने न सिर्फ अपराध की दुनिया को बदलकर रख दिया, बल्कि सरकार को भी पुलिसिंग के पारंपरिक तौर-तरीकों से आगे सोचने को मजबूर कर दिया था। जिसका नाम था श्रीप्रकाश शुक्ला।

यूपी के इतिहास की पहली मोबाइल सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड इसी गैंगस्टर के सिमकार्ड की निकाली गई थी । इसी गैंगस्टर के चलते पहली बार यूपी पुलिस ने मोबाइल सर्विलांस का नाम सुना था। इस दौर में पुलिसिंग पूरी तरह से मुखबिरों पर टिकी होती थी। लेकिन लखनऊ में एक के बाद एक ताबड़तोड़ जघन्य हत्याओं ने सब-कुछ बदल गया।

  • पहली हत्या राकेश तिवारी का किया
  • पुलिस के लिए सरदर्द बन गया था शुक्ल
  • चिल्लुपार विधान सभा सीट पर जमाना चाहता था क़ब्ज़ा
  • बिहार के मंत्री की हत्या
  • मुख्य मंत्री की हत्या का प्रयास
  • बिहार के विधायक की हत्या
  • पुलिस टीम का गठन
  • शो इंडियाज़ मोस्ट वॉन्टेड नाम से चलाया गया शो
  • महिलामित्र से मिलने के दौरान हुई थी मौत
  • लोकप्रिय संस्कृति में

पहली हत्या राकेश तिवारी का किया

श्री प्रकाश शुक्ल का राजनेता अपने विरोधियों को सुपारी देकर समाप्त करने के लिए काम में लेते थे। श्री प्रकाश शुक्ल का जन्म मामखोर गाँव में हुआ था। जो गोरखपुर के निकट हाटा बाज़ार में है। बयान किया गया है कि वह अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में पहलवान रहा करता था।

1993 में शुक्ल ने राकेश तिवारी नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी। यह शुक्ल के द्वारा की गई पहली हत्या थी। जिससे भयभीत होकर वह बैंकॉक भाग गया। शुक्ल लौटकर मोकामा, बिहार के गुंडे सूरज भान की गैंग का सदस्य बन गया और बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गया।

पुलिस के लिए सरदर्द बन गया था शुक्ल

एक समय शुक्ल उत्तर प्रदेश और उत्तर बिहार का खतरनाक और बेरहम गैंगस्टर बन गया। वह राजनेताओं और व्यापारियों के लिए सरदर्द बन गया और पुलिस पर उसके खिलाफ़ कार्यवाही करने के लिए ज़ोर पड़ने लगा।

चिल्लुपार विधान सभा सीट पर जमाना चाहता था क़ब्ज़ा

1997 में लखनऊ में शुक्ल ने वीरेन्द्र साही की हत्या कर दी जो एक राजनेता और राज्य अंडरवर्ल्ड के सदस्य थे। इसके बाद आशंका जताई गई थी कि हरि शंकर तिवारी की भी हत्या कर देगा जो साही के विरोधी थे।

क्योंकि स्वयं चिल्लुपार विधान सभा पर क़ब्ज़ा जमाना चाहता था। 26 मई 1998 को शुक्ल ने कुनाल रस्तोगी का अपहरण कर दिया जो एक व्यापारी का बेटा था। यह घटना उसने लखनऊ के वनस्पति उद्यान से अंजाम दी। बच्चे के पिता ने जब बचाव की कोशिश की तो उसने उसकी हत्या कर दी। आरोप है कि गैंग ने 5 करोड़ रूपए लेकर बच्चे को छोड़ा।

बिहार के मंत्री की हत्या

जून 1998 में शुक्ल ने बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी जो बिहार के एक मंत्री थे। वे पटना के एक अस्पताल में इलाज के लिए गए थे। बृज बिहारी प्रसाद पर विधायक देवेंद्र नाथ दुबे की हत्या करने का आरोप था। विधायक देवेंद्र नाथ दुबे और श्रीप्रकाश शुक्ल बहुत अच्छे मित्र थे।

मुख्य मंत्री की हत्या का प्रयास

साक्षी महाराज, जो फर्रुखाबाद के सांसद थे, यह दावा किए कि शुक्ल ने उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री कल्याण सिंह की हत्या के लिए 6 करोड़ की सुपारी ली है। परन्तु महाराज ने जानकारी के स्रोत या देने वाले का नाम नहीं बताया।

बिहार के विधायक की हत्या

बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के थोड़े ही समय के बाद शुक्ल ने अजीत सरकार की कथित रूप से हत्या कर दी जो पूर्णियां के विधायक थे।

पुलिस टीम का गठन

अप्रैल 1998 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक विशेष कार्य बल (Special Task Force – STF) का गठन किया ताकि राज्य 43 कुख्यात अपराधियों को या तो पकड़ा जाए या मार दिया जाए। सूची में शुक्ल भी था।

शो इंडियाज़ मोस्ट वॉन्टेड नाम से चलाया गया शो

8 और 15 सितम्बर 1998 को प्रकाश शुक्ल के बारे में दो एपिसोड अपराध पर आधारित शो इंडियाज़ मोस्ट वॉन्टेड पर प्रस्तुत किए गए थे। शो के मेज़बान सुहैब इल्यासी ने दावा किया है कि उसे शुक्ल के माध्य से धमकी भरे कॉल आए।

उन्होंने यह भी दावा किया कि एक अनामक कॉलकर्ता ने उन्हें 10 सितम्बर 1998 को सूचना दी कि शुक्ल के गैंग के लोग एम्स दिल्ली के निकट डाइवू सिएलो में देखे जा सकते हैं। 21 सितम्बर 1998 को सूचना दी गई कि शुक्ल गाज़ियाबाद में डाइवू सिएलो में देखा जा सकता है। यह सूचनाएँ दिल्ली और उत्तरप्रदेश पुलिस को दी गई।

महिलामित्र से मिलने के दौरान हुई थी मौत

22 सितम्बर 1998 को शुक्ल को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य दल द्वारा गाज़ियाबाद की एक बहु-मंज़िलीय परिसर के बाहर गोली मार दिया। दिल्ली के वसंतकुंज में शुक्ल छिप रहा था। वह गाज़ियाबाद में अपनी महिलामित्र से मिलने आया था।

वह पालम हवाई अड्डे के रास्ते बचकर रांची जाना चाहता था, जहाँ उसके हथियारों का विक्रेयता सूरज भान रहता था। विशेष कार्य बल के गठन तक जाँच पर 10 मिलियन रुपिये खर्च हुए थे और उसे पकड़ने के लिए पटना, लखनऊ और दिल्ली के बीच 100000 किलोमीटर की हवाई यात्रा शुक्ल को पकड़ने के लिए निकल चुकी थी।

उसे मुख्य रूप से उसके फ़ोन नम्बर से पकड़ लिया गया था। शुक्ल हर सप्ताह अपना सिम कार्ड बदलता था। परन्तु अंतिम सिम का उसने एक सप्ताह से अधिक समय के लिए प्रयोग किया था। गोली-बारी के स्थल से प्राप्त मोबाईल फ़ोन और डायरी से उसके राजनेताओं से सम्पर्क के प्रमाण मिले।

लोकप्रिय संस्कृति में

2005 में जारी फ़िल्म सेहर विशेष कार्य बल के काम पर आधारित है जिसने शुक्ल को मार गिराया था। उसका किरदार Arshad Warsi ने निभाया था। 2010 में टी वी शृंखला गुनाहों का देवता प्रसारित किया गया। इसमें एक चरित्र शुक्ल पर आधारित था।

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