UP News: सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ पक्तियों को लेकर सवाल किए थे। साथ ही उन्होंने कहा था कि, कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते है, ये सब बकवास है। रामचरितमानस को तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. इस टिप्पणी के साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा- सरकार को इसका संज्ञान लेना चहिए और रामचरितमानस में जो आपत्तिजनक अंश हैं, उसे बाहर करना चाहिए।
बता दें, सपा नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उनकी बेटी और बीजेपी की सांसद संघमित्रा मौर्य उतर आई हैं. उन्होंने स्वामी प्रसाद का समर्थन करते हुए खुलकर उनके बयान का बचाव किया और साथ ही स्वामी प्रसाद के बयान का एनालिसिस किए जाने की मांग उठाई है। संघमित्रा ने कहा कि, कुछ लोग अनावश्यक मुद्दे बना रहे है और अशांति पैदा करने के लिए विवाद करना चाह रहे है।
समाजवादी पार्टी(SP) के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ पक्तियों को लेकर सवाल किए थे. जिसमें उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। तुलसीदास ने रामचरितमानस को अपनी खुशी के लिए लिखा है. आगे बढ़ते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा- सरकार को इसका संज्ञान लेना चहिए और रामचरितमानस में जितने भी आपत्तिजनक अंश हैं, उसे बाहर करना चाहिए या फिर इस पूरी रामचरितमानस को ही बैन कर देना चाहिए। साथ ही उन्होंने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि, ‘तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है। क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की चौपाई है। इसमें तुलसीदास शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।’
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद से समाजवादी पार्टी (SP) ने चुप्पी साध रखी है। इस दौरान, स्वामी की बेटी और बीजेपी की सांसद संघमित्रा मौर्य ने स्वामी प्रसाद के बचाव में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा- ‘ये विवाद का नहीं, चर्चा का विषय है। विश्लेषण किया जाना चाहिए और चर्चा की जानी चाहिए कि एक विशेष लाइन पर बार-बार विवाद क्यों हो रहा है?’ साथ ही उन्होंने कहा कि,- ‘कुछ लोग अनावश्यक मुद्दों को उठा रहे हैं और अशांति पैदा करने के लिए विवाद खड़ा कर रहे हैं।’
साथ ही समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ब्राह्मणों को लेकर भी बयान दिया था। उन्होंने कहा- ‘ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए. क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं. ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो।’
स्वामी प्रसाद मौर्य का ये भी मानना है कि, उन्होंने किसी ग्रंथ या भगवान के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। बल्कि रामचरितमानस की कुछ पक्तियों को लेकर सवाल उठाए हैं। जिसके बाद उन्होंने कहा कि, मैं आज भी अपने बयान पर कायम हूं. हमने रामायण की उन चौपाइयों पर आपत्ति जताई है, जिसमें दलितों और पिछड़ों को अपमानित किया गया है।
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