यूपी के कानपुर देहात में वर्ष 1979 में हुए सामूहिक हत्याकांड के मामले में अदालत ने पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही प्रत्येक दोषी पर 29-29 हजार रूपए अर्थदंड भी लगाया है। बता चले कि कानूनी दांव पेंच के चलते 44 साल से इस विचाराधीन पड़े मामले में गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया है। देवराहट क्षेत्र के सेल्हूपुर गांव में नवंबर 1978 में किसान दिनेश की हत्या हुई थी। आरोपी अयोध्या प्रसाद ने जमानत पर रिहा होने के बाद बदला लेने के इरादे से दिनेश के भाई रमेशचंद ने अपने साथियों समेत 1979 को अयोध्या प्रसाद के भाई सरजू, भतीजे शिव प्रसाद व छोटे तथा चार साल के पौत्र भीम सिंह की हत्या कर दी थी।
मामले में अयोध्या प्रसाद ने उस समय भोगनीपुर कोतवाली में रमेशचंद सहित 21 लोगों के खिलाफ हत्या सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। मामले में अभियोजन की ओर से कोर्ट में नौ लोगों की गवाही कराई गई। कानूनी दांव पेंच में यह मामला 1982 में हाईकोर्ट के स्थगनादेश से लंबित हो गया था। जिसके बाद इस मामले पर अब अदालत का फैसला आया है।
मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ रवि यादव की अदालत में शुरू हुई। मामले में 14 आरोपियों की मौतें हो चुकी थीं, जबकि एक आरोपी मान सिंह फरार है। अदालत ने शेष आरोपी विजय बहादुर, प्रेमचंद्र, विजय नारायण, बतोले, मथुरा, धनीराम की पत्रावली को अलग कर सुनवाई शुरू कर दी गई थी।
अदालत में कई सालों तक चली अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस के बाद अदालत ने मंगलवार को मामले के पांच आरोपियों को दोषसिद्ध करार दिया था। वहीं एक आरोपी मथुरा को दोषमुक्त करार दिया था। गुरुवार को अदालत ने दोषसिद्ध अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही प्रत्येक दोषी पर 29-29 हजार का अर्थदंड भी लगाया है।
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