India News (इंडिया न्यूज़), Harendra Chaudhary, Uttar Pradesh: लखनऊ: 6 सितम्बर। प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था स्थापित करने के बाद अब योगी सरकार लोगों को सुलभ न्यायिक प्रक्रिया से जोड़कर उनके लंबित मामलों के निस्तारण की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसी क्रम में 9 सितम्बर को प्रदेश के समस्त जनपदों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सभी प्रकार के दीवानी वाद, अपराधिक वाद एवं राजस्व वादों का अधिकाधिक संख्या में सुलह समझौतो के आधार पर त्वरित निस्तारण किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजय सिंह प्रथम ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दीवानी, फौजदारी एवं राजस्व न्यायालयों में लम्बित मुकदमों के साथ-साथ प्री-लिटिगेशन (मुकदमा दायर करने से पूर्व) वैवाहिक विवादों का समाधान भी सुलह-समझौते के माध्यम से कराया जाएगा। इसमे समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले, बिजली एवं जल के बिल से सम्बन्धित शमनीय दण्ड वाद, चेक बाउंस से सम्बन्धित धारा-138 एनआई एक्ट एवं बैंक रिकवरी, राजस्व वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद तथा अन्य सिविल वाद के निस्तारण के लिए सम्बन्धित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में सम्पर्क कर सकते है।
लोक अदालत में मामलों के निस्तारण के अनेक लाभ होते है। जैसे लोक अदालत में निर्णित मुकदमे की किसी अन्य न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है। लोक अदालत के निर्णय को अन्तिम माना जाएगा। लोक अदालत का निर्णय सिविल न्यायालय के निर्णय के समान बाध्यकारी होता है। पक्षों के बीच सौहार्द बना रहता है। सम्बन्धित पक्षकारों के समय व धन की बचत होती है। अदा की गई कोर्ट फीस पक्षकारों को वापस हो जाती है। यातायात सम्बन्धी चालानों को वेबसाइट vcourts.gov.in के द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान कर घर बैठे ही निस्तारण करा सकते हैं।
आलम्बित वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित कराने के लिए सम्बन्धित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अथवा अपने जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से सम्पर्क कर अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं।
प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवाद वह विवाद हैं जो पति-पत्नी के मध्य विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं। इसके समाधान के लिए पति अथवा पत्नी के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में विवाद का संक्षिप्त विवरण लिखते हुए प्रार्थना पत्र दिया जाएगा। इसके बाद विपक्षी को नोटिस भेज कर बुलाया जाएगा। पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश एवं मध्यस्थ अधिवक्ता की बेंच गठित की जाएगी। बेंच के द्वारा दोनों पक्षों की बैठक करवाकर सुलह-समझौते के माध्यम से विवाद का समाधान कराया जाएगा।
बेंच के द्वारा पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर लोक अदालत में निर्णय पारित किया जाएगा जो अंतिम माना जाएगा और निर्णय के विरुद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील दायर नहीं की जा सकती, जिससे परिवार टूटने से बच जाएगा एवं पारिवारिक सद्भाव बना रहेगा।
1. समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले
2. चैक बाउंस से सम्बन्धित धारा-138 एनआई एक्ट एवं बैंक रिकवरी
3. मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद
4. बिजली एवं जल के बिल से सम्बन्धित शमनीय दण्ड
5. राजस्व वाद
6. अन्य सिविल वाद
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