इंडिया न्यूज: (Uttarakhand burning in forest fire) प्रदेश में अब तक आग लगने से 100 से ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई है। जिसमे विभाग की तरफ से कई दावे किए जाते हैं बावजूद इसके हर साल वन विभाग को लाखों रुपए की वन संपदा का नुकसान हो जाता है।
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उत्तराखंड में इन दिनों फायर सीजन चल रहा है। राज्य का लगभग 70 फ़ीसदी भूभाग वनों से घिरा हुआ है ऐसे में प्रदेश में हर साल आग लगने की घटनाएं इस फायर सीजन में होती रहती है। विभाग की तरफ से कई दावे किए जाते हैं बावजूद इसके हर साल वन विभाग को लाखों रुपए की वन संपदा का नुकसान हो जाता है। इस साल भी फायर सीजन चल रहा है और बीते कई दिनों में 100 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। ऐसे में सवाल यह है कि वन विभाग की तरफ से जो इंतजाम किए जा रहे हैं वह कितने कारगर साबित हो रहे हैं।
गर्मी का मौसम आते ही उत्तराखंड में वन विभाग को सबसे ज्यादा चिंता आग लगने की घटनाओं से होती है। राज्य में 15 फरवरी से फायर सीजन की शुरुआत हो गई है।जिसमें हर साल लाखों रुपए की वन संपदा का नुकसान होता है विभाग की तरफ से वनों में लगने वाली आग से बचने के लिए हर साल तैयारियां भी की जाती है। बावजूद इसके वनों में लगने वाली आग के कारण साल दर साल वन्य संपदा के साथ-साथ वन्यजीवों का नुकसान वन विभाग को उठाना पड़ता है।जंगलों में इन गर्मियों में आग लगने के बहुत से कारण होते हैं जिन को ध्यान में रखते हुए वन विभाग इन से निपटने के लिए योजनाएं भी तैयार करती है। साथ ही वनों की आग से निपटने के लिए माननीय सहारे की भी जरूरत पड़ती है। जिसके लिए समय-समय पर वन विभाग वनों के आसपास रहने वाले लोगों को भी जागरूक करने के अभियान चलाता है।
वन विभाग की माने तो बीते कुछ सालों में उत्तराखंड में हजारों हेक्टेयर जंगल को आग के कारण नुकसान हुआ है, जबकि इस आग के लगने से वनों में रहने वाली वन्य जीव प्रजातियों को भी नुकसान हुआ है। पिछले 12 घंटे की बात की जाए तो वन विभाग की तरफ से वनों में लगने वाली आग के जो आधिकारिक आंकड़े जारी किए जाते हैं। उसके हिसाब से 16 मार्च की शाम चार बजे तक प्रदेश में 6 आग लगने की घटनाएं हुई है। जबकि नवंबर 2022 से 16 मार्च 2023 तक प्रदेश के जंगलों में 103 आग लगने की छोटी बड़ी घटनाएं हो चुकी है जिसमें वन विभाग को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है।
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