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Uttarakhand News: उफनती पिंडर नदी पर लकड़ी के पुल से जान जोखिम में डालकर हो रही आवजाही, निर्माण विभाग से लगाई ये गुहार

• LAST UPDATED : June 1, 2024

India News UP (इंडिया न्यूज),Uttarakhand News: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में विकास किस कदर अवाम पर भारी है। इसकी एक बानगी देखने से पहले जरा एक बार इन तस्वीरों को देख लीजिए और खुद ही समझ जाइये कि उत्तर प्रदेश से अलग एक पहाड़ी राज्य उत्तराखंड बनाने का जो उद्देश्य था क्या वाकई वो पूरा होता नजर आ रहा है। ये बात जरूर है कि गांव गांव सड़के पहुंची हैं। सड़को का आधुनिकीकरण हुआ है लेकिन वहीं दूसरी और इसी पहाड़ी राज्य के दूरस्थ पहाड़ी जनपद चमोली के दूरस्थ विकासखण्ड देवाल के ओडर गांव की ये तस्वीर ही काफी है ये बताने के लिए यहां के बाशिंदे अब भी विकास के लिए जूझ ही रहे हैं।

उफनती पिंडर नदी जान जोखिम में आवजाही

उफनती पिंडर नदी पर लकड़ी का पुल अपने संसाधनों से डालकर यहां के ग्रामीण आवजाही करते हैं जी हां सितम्बर में जब पिंडर नदी का जलस्तर घटता है तो ओडर के ग्रामीण पिंडर नदी पर लकड़ी का पुल बनाकर आवजाही करते हैं और 15 जून तक इसी तरह लकड़ी के पुल से आवजाही होती है 15 जून के बाद पिंडर के बढ़ते जलस्तर में जब लकड़ी का पुल बह जाता है तो ग्रामीणों की सुविधा के लिए लोक निर्माण विभाग यहां ट्रॉली का संचालन शुरू करता है।

मूसलाधार बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा

लेकिन वो कहते हैं न प्रकृति कहाँ सरकारों और अफसरों के हुक्म से चलती है। प्रकृति कहाँ सरकारी नियमो को जानती या समझती है या यूं कहें कि सरकारी नियम कायदे कहाँ प्रकृति को समझ पाते हैं। मानसून शुरू होने से पहले ही पहाड़ो में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है और इसी तरह पिंडर नदी के बढ़े जलस्तर ने ओडर गांव को जोड़ने वाले लकड़ी के पुल को भी बहाने की ठान ली है। पिंडर लकड़ी के पुल के ऊपर से बह रही है और ग्रामीण ट्रॉली का संचालन शुरू न होने से जान जोखिम में डालकर इस खतरनाक लकड़ी के पुल से आवजाही को मजबूर हैं।

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उफनती पिंडर

अब इसे सिस्टम की सुस्ती कहें या तंत्र की लापरवाही कि वर्ष 2013 की आपदा में ओडर गांव को जोड़ने वाला झूलापुल बह गया था। जो आज 10 साल बीत जाने के बाद भी बन नहीं पाया है। हालांकि यहां पर पुल के निर्माण के लिए स्वीकृति भी मिल चुकी है। टेंडर भी हो गए हैं। बावजूद इसके लगभग 6 माह से ऊपर का समय बीत चुका है पुल का कार्य शुरू नहीं हो पाया है और ग्रामीण उफनती पिंडर को पार करने के लिए लकड़ी के पुल पर जोखिम भरी आवजाही कर रहे हैं। हालांकि इस गांव तक पहुंचने के लिए कुछ ज्यादा दूरी तय कर बोरागाड से भी पहुंचा जा सकता है लेकिन कभी जल्दबाजी तो कभी ज्यादा दूरी के चलते ग्रामीण जान जोखिम में डाल इसी लकड़ी के पुल से उफनती पिंडर को कुछ इस तरह पार कर रहे हैं। ग्रामीणों ने शुक्रवार को ब्लॉक प्रमुख देवाल दर्शन दानू के नेतृत्व में लोक निर्माण विभाग के थराली दफ्तर पहुंच। अधिशासी अभियंता से जल्द से जल्द ट्राली का संचालन करने की मांग की है लेकिन ट्रॉली की मोटर में दिक्कत आ रही है क्योंकि लोक निर्माण विभाग की टीम जब मौके पर ट्राली का संचालन शुरू करने के लिए पहुंची तो ट्राली की मोटर के अंदर से कॉपर गायब मिली, जिसके चलते ट्राली का संचालन शुरू नहीं हो पाया है।

जान जोखिम में डालकर आवजाही को मजबूर

वैसे तो मोटर में आई तकनीकी खराबी को रिप्लेस करने में अधिक समय लग सकता है, लेकिन ग्रामीणों की सहूलियत के लिए फिलहाल लोक निर्माण विभाग जुगाड़ तकनीक के जरिये जल्द से जल्द ट्राली का संचालन शुरू करने की कवायद में जुट गया है। देखने वाली बात होगी कि आखिर जान जोखिम में डालकर आवजाही को मजबूर इन ग्रामीणों की सहूलियत के लिए लोक निर्माण विभाग कितनी फुर्ती से ट्राली का संचालन शुरू कर पाता है।

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