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Vande Bharat Train: वंदेभारत ट्रेन में स्नैक ट्रे पर पैर फंसाकर सोना पड़ा महंगा, अफसर ने सिखाया सबक!

India News(इंडिया न्यूज़), Vande Bharat Train: लोगों को कम समय में सुविधाजनक तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए ट्रेन का आविष्कार और निर्माण किया गया था। भारत के लगभग हर हिस्से में रेलवे नेटवर्क है, जिसकी मदद से लोग आसानी से यात्रा कर सकते हैं। क्या होता है जब लोग इन सुविधाओं का दुरुपयोग करना शुरू कर देते हैं? जी हां, इस समय सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वंदे भारत ट्रेन में रिजर्वेशन कराकर यात्रा कर रहे एक शख्स की न सिर्फ सीट बल्कि आसपास की जगह को भी अपना मानने की गुस्ताखी हो गई।

सोशल मीडिया पर तस्वीर हुआ वायरल

दरअसल हुआ ये है कि सोशल मीडिया पर इस वक्त चेन्नई वंदे भारत ट्रेन की एक तस्वीर वायरल हो रही है । इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि कैसे एक शख्स सीट के सामने खाने की ट्रे पर पैर रखकर सो रहा है । इस ट्रे का उपयोग यात्रा के दौरान यात्रियों को दिए जाने वाले जलपान के लिए किया जाता है। यह खाने के लिए है लेकिन इस यात्री ने इसे अपनी निजी संपत्ति समझा। इस तस्वीर को सबसे पहले इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया था । बाद में ये ट्विटर पर भी वायरल होने लगा । इस पर बड़ी संख्या में लोगों ने कमेंट किया ।

अफसर ने सिखाया सबक (Vande Bharat Train)

इसमें रेलवे के शीर्ष अधिकारियों को भी टैग किया गया था मुख्य परियोजना प्रबंधक ने उत्तर दिया भारतीय रेलवे के मुख्य परियोजना प्रबंधक अनंत रूपनगुडी ने तस्वीर पर प्रतिक्रिया देते हुए सभी यात्रियों से अपील की, ‘कृपया फिटिंग का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए करें जिसके लिए वे बनी हैं। वे आपके पैसे से आपके लिए बनाए गए हैं और इसलिए आप उन फिटिंग के लिए जिम्मेदार हैं। वंदे भारत ट्रेनें भारी लागत पर बनाई गई हैं। कृपया जिम्मेदारीपूर्वक यात्रा करें”।

सोशल मीडिया पर एक अलग सूत्र में, रूपनगुडी ने कहा कि उन्हें वंदे भारत ट्रेन इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया है जो इन ट्रेनों का निर्माण करती है। उन्होंने यात्रियों से मिले फीडबैक को अपने सहकर्मियों तक पहुंचाया है। “इस मंच पर इतनी जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलने के बाद, मैंने अपने सहयोगियों से कहा है कि हम और भी बहुत कुछ कर सकते हैं।” “लोग फंसे हुए स्नैक ट्रे, कहीं ढीली फिटिंग, सख्त सीटें, खराब फिनिशिंग और कारीगरी की क्लोज़-अप तस्वीरें पोस्ट करते हैं। बेशक, आईसीएफ फीडबैक को गंभीरता से लेता है और समय की कमी के बावजूद, फैक्ट्री छोड़ने वाली प्रत्येक इकाई को बेहतर बनाने का प्रयास करता है।

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Anubhaw Mani Tripathi

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