(Administration team reached to remove illegal encroachment): उत्तराखंड के विकासनगर (Vikasnagar) में उत्तराखंड जल विद्युत निगम( Uttarakhand Jal Vidyut Nigam) की जमीन से अवैध कब्जो को हटाने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है।
लेकिन सूत्रों का मानना है कि पुलिस फोर्स ना मिलने के कारण कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी।
दरअसल विकासनगर में अवैध कब्जे हटाने को लेकर प्रशासन बड़ी तैयारी मेँ जुटा है। डाकपत्थर से लेकर कुल्हाल तक 15 किलोमीटर के दायरे में शक्ति नहर के दोनों तरफ लोगो ने अवैध कब्जे किये हुए है।
उत्तराखंड जल विद्युत निगम की इस जमीन पर तकरीबन 600 अवैध घरो पर जल्द बुलडोजर चल सकता है। जिसको लेकर प्रशासन लगातार लोगों को चेतावनी भी दे रहा है ।
देहरादून जिलाधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने अवैध कब्जों को हटाने के लिए कब्ज़ा धारकों को कुछ समय पहले ही नोटिस जारी किया गया था। जिसमें कब्जे खाली करने का अंतिम समय 11 मार्च 2023 बताया गया है।
प्रशासन ने कब्जा धारकों को अनाउंसमेंट के जरिए भी चेतावनी दी थी। जिसमे कहा गया कि “वह दी गई मोहलत की तय सीमा के अंदर ही इन जमीनों को खाली कर जल विद्युत निगम को सौंप दे नहीं तो 11 मार्च के बाद प्रशासन कब्जा धारकों से सख्ती से निपटेगा।”
आगे कहा कि अनाउंसमेंट के जरिए लगातार कब्जा धारकों को जमीन खाली करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। लेकिन मोहलत का समय खत्म होने के बाद भी अभी तक किसी भी कब्जा धारक ने जमीन खाली नहीं की है। जिससे प्रशासन के माथे पर भी बल पड़ रहे हैं।
उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने पिछले साल भी इन अवैध कब्जा धारकों को नोटिस जारी करते हुए अवैध कब्जों पर लाल निशान लगाए थे। लेकिन अभी तक ना तो कब्जा धारकों ने जमीने खाली की और ना ही इन पर कोई कार्यवाही हो सकी।
आज प्रशाशन द्वारा किराए पर लिए गए बुलडोजर, वीडियो ग्राफर, विभाग के अधिकारी, कर्मचारी आदि निगम की जमीन से कब्जा हटाने के लिए तैयार खड़े देखे गए। लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी। अनाउंसमेंट के जरिए आज फिर लोगों से अपील की गयी।
जहां एक तरफ लंबे समय से इन जमीनों पर रह रहे लोगों ने स्थानीय विधायक से मिलकर अपनी जमीनों से संबंधित दस्तावेज दिखए और उन्हें बेघर ना करने की गुहार लगाई।
वहीं दूसरी ओर आज प्रशासनिक टीम में एडीएम, एसडीएम विकासनगर, पुलिस के आला अधिकारी और उत्तराखंड जल विद्युत निगम के अधिकारियों ने एक साथ बैठकर इस मामले के निपटारे को लेकर रणनीति बनाई। लेकिन इस मामले में सभी अधिकारी कोई भी बयानबाजी करने से परहेज कर रहे हैं।
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