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Vikram Batra Birth Anniversary: जब ये दिल मांगे मोर’ कह कर कैप्टेन विक्रम बत्रा बन गए थे कारगिल युद्ध के हीरो, कुछ ऐसी है उनके शौर्य की कहानी

• LAST UPDATED : September 9, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Vikram Batra Birth Anniversary: देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भारत के महानायक अमर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की आज बर्थ एनिवर्सरी है। कैप्टन विक्रम बत्रा आज से करीब 23 साल पहले देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए थे। इस दौरान उनकी उम्र महज 24 साल थी।

हिमाचल प्रदेश में हुआ जन्म 

कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनका परिवार एक सैन्य परिवार था, जिसमें वे स्वयं, उनके माता-पिता, और शायद उनके बहन या भाई शामिल थे। इसके साथ ही कैप्टन विक्रम बत्रा ने स्कूली पढ़ाई हिमाचल से ही हुई। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई चंडीगढ़ से की। विक्रम बत्रा जिस जगह रहते थे वह सेना छावनी का इलाका था। कहते हैं कि विक्रम बत्रा भी बचपन से सेना में ही जाना चाहते थे।

कैप्टन विक्रम बत्रा सेना में शामिल 

कहते हैं जब विक्रम बत्रा ने गणतंत्र दिवस की परेड में 1994 में एनसीसी कैडेट के रूप में भाग लिया था, तभी से उनके अंदर देश के प्रति देशभक्ति ने जन्म लिया और उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने की इच्छा के बारे में अपने माता-पिता को बताया। जिनके चलते 1995 में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान उन्हें हांगकांग के मुख्यालय वाली शिपिंग कंपनी ने मर्चेंट नेवी के रूप में चुन लिया परंतु कहा जाता है कि उनका इरादा कुछ और था।

कैप्टन विक्रम का कारगिल युद्ध में योगदान 

उनकी वीरता ने 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कैप्टन विक्रम बत्रा जब अपनी छुट्टियां पूरी कर वापस लोटे तो तब उनकी बटालियन को शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश की तरफ जाने के लिए कहा गया। कहते हैं कि विक्रम बत्रा द्वारा ने अपनी बटालियन 8 माउंटेन डिवीजन के 192 माउंटेन ब्रिगेड के तहत आतंकवादियों का सफाया करने का कार्यकाल जम्मू में पूरा कर लिया था। जिसके बाद उन्हें और उनकी बटालियन को वहां से निकलने के आदेश दे दिए गए।

कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी थे और उन्होंने कारगिल युद्ध (1999) के समय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की कमांडिंग ऑफिसर के रूप में कार्रवाई की और युद्ध के सफल प्रारंभ होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें “युद्ध परामवीर चक्र” से सम्मानित किया गया था।कैप्टन बिक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण मिशन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य किया, जिसमें वे कारगिल के एक ऊंचे डिफेंस पोइंट को फिर से भारतीय सेना के कब्जे में लेने के लिए सफल रहे। उनके योगदान के बाद, वे देशभर में प्रसिद्ध हो गए और उन्हें “युद्ध परामवीर चक्र” के साथ सम्मानित किया गया।

कैप्टन विक्रम बत्रा की लव स्टोरी

कारगिल युद्ध से कुछ दिन पहले होली की छुट्टियों के दौरान वे अपने घर गए थे। जहां वह अपने अपनी मंगेतर डिंपल चीमा से अपने फेवरेट कैफे में मिले। बताया जाता है कि उस वक्त डिंपल को विक्रम की बहुत ज्यादा चिंता हो रही थी। तभी डिंपल चीमा विक्रम बत्रा को कारगिल युद्ध के दौरान अपना ध्यान रखने के लिए कहती है। कहा जाता है तभी उनके कुछ ऐसे शब्द थे जो आज भी याद किए जाते है। उस वीर के मुंह से बस यही निकला कि “या तो मैं अपनी जीत का तिरंगा लहराता हुआ आऊंगा या फिर उस तिरंगे में अपनी आंख मूंदे लिपट कर आऊंगा।”लेकिन मैं निश्चित रूप से वापस आऊंगा,” उनके अटूट समर्पण के प्रमाण के रूप में गूंजते हैं।

कैप्टन विक्रम बत्रा पर बनी फिल्म 

अगर उनपर बनी फिल्म की बात करें तो कैप्टन विक्रम बत्रा की कार्यक्रमों और कार्यों के आधार पर कई फ़िल्में बनी हैं।  साल 2013 में आपने एलओसी कारगिल फिल्म देखी होगी जो पूरी तरह कारगिल संघर्ष पर आधारित थी। इस फिल्म को बॉलीवुड की तरफ से रिलीज किया गया जिसमें अभिषेक बच्चन द्वारा विक्रम बत्रा के महत्वपूर्ण किरदार की अहम भूमिका निभाई गई थी। जिनमें वे कारगिल युद्ध और उनके योद्धा जीवन को ड्रामाईज किया गया है।

वहीं एक प्रमुख फ़िल्म जिसमें कैप्टन विक्रम बत्रा के कार्यक्रमों पर आधारित है, वो है “शेरशाह” (Shershaah)। इस फ़िल्म में सिद्धार्थ माल्होत्रा ने कैप्टन विक्रम बत्रा की भूमिका निभाई है, और फ़िल्म ने उनके योद्धा जीवन और कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया है। “शेरशाह” फ़िल्म का उद्घाटन 2021 में हुआ था और यह कैप्टन विक्रम बत्रा और उनके साथी सैन्य अधिकारियों के योद्धा जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रस्तुत करती है। फ़िल्म ने विक्रम बत्रा के साहस और सेना सेवा के योद्धाओं के साथ उनके योद्धा जीवन को महत्वपूर्ण तरीके से दिखाया है और दर्शकों को प्रेरित किया है।

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