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Uttarakhand News: 23 साल बाद एलिजाबेथ के वतन लौटने पर रोया गांव, 61 की उम्र में ट्रैकिंग के लिए आई थीं यहां

• LAST UPDATED : May 24, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), उत्तराखंड “Uttarakhand News” : 61 वर्ष की एलिजाबेथ को मुंदोली की एक घटना ने ऐसा झकझोरा की वह यहीं की होकर रह गईं। उन्होंने दो बच्चों को गोद लिया और यशोदा बन कर उनकी परवरिश करने लगी। अब 84वें पड़ाव में शरीर से कमजोर होने के बाद वह अपने वतन लौट गई।

61 वर्ष की उम्र में रूपकुंड ट्रैकिंग के लिए आईं थी

‘मां’, कहते है इस शब्द में संसार बसा हुआ है। बच्चे पर जब तक मां का आंचल रहता है तब तक वह पूरी तरह सुरक्षित होता है। लेकिन जब मां ही अपने बच्चे को छोड़ कर चली जाए तो बच्चा कहाँ जाए। लेकिन उत्तराखंड से एक अलग मामला सामने आया है। जहां 61 वर्ष की उम्र में रूपकुंड ट्रैकिंग के लिए आईं जर्मनी की एलिजाबेथ ने दो बच्चों को गोद लिया और यशोदा बन कर उनकी परवरिश करने लगी। तभी कहा जाता है पैदा करने से भी बड़ा पालन करने वाला होता है।

ईसाई होने के बाद भी मंदिरों में पूजा करती थीं

एलिजाबेथ ने यहां रहकर गांवों के कई अन्य बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी खुद ली। इसके साथ ही कई बच्चों के कॅरिअर बनाने के लिए कई कोर्स भी कराए। आज यह बच्चे सफल होकर अन्य शहरों में नौकरी कर रहे हैं। इसके साथ ही एलिजाबेथ ने अन्य जरूरतमंदों की मदद भी की है। एलिजाबेथ ने सिखाया कि वह कैसे ईसाई होने के बाद भी मंदिरों में पूजा करती थीं। जब मंगलवार को वह अपने देश लौटने लगीं तो पूरा गांव उनकी याद में रो पड़ा।

यहां की यादें हमेशा दिल में रहेंगी

एलिजाबेथ बताती हैं कि वह 23 साल से इस क्षेत्र में रह रही है। अब उम्र के 84वें पड़ाव में पहुंचने के बाद वह शरीर से कमजोर हो गई हैं। जिसके बाद अब अपने वतन लौट रही है। लेकिन यहां की यादें हमेशा दिल में रहेंगी।

अनाथ हुए बच्चे तो सहारा बन बदली जिंदगी

बता दें, मुंदोली के रहने वाले काम सिंह व उसकी पत्नी की अचानक मौत हो गई थी। जिसके बाद उनकी छह साल की बेटी विमला व तीन साल का बेटा भगत अनाथ हो गए। इन दोनों बच्चों के बारे में गांव के रहने वाले भुवन बिष्ट ने एलिजाबेथ को बताया। घटना ने एलिजाबेथ को अंदर से झकझोर कर रख दिया था और वह यही की होकर रह गई।

इसके बाद उन्होंने दोनों बच्चों को गोद ले लिया और यहीं रहने लगीं। एलिजाबेथ
ने दोनों बच्चों के प्यार एवं स्नेह में कभी कोई कमी नहीं रखी। दूसरे देश से होने के बावजूद भी उन्होंने दोनों बच्चों की परवरिश की। यही नहीं विमला का विवाह भी बड़े धूमधाम से किया था।

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