देवरिया: कहावत है “जाको राखे साइयां मार सके ना कोय” कुछ ऐसा ही मामला देवरिया जिले के एक गांव से आया है। जहां 15 वर्ष पूर्व एक मासूम बच्चे का सर्पदंश से मौत हो गई थी। और परिजनों ने उसे केले के पत्ते पर नाव बनाकर नदी में प्रभावित कर दिया था लेकिन य़ह बच्चा अब जिंदा है और आज अपने घर अपने मां-बाप के पास वापस आ गया है जिससे पूरे परिवार में खुशी की लहर सी छा गई है जहां कौतुहल का विषय भी बना हुआ है।
देवरिया जिले के भागलपुर ब्लॉक के मुरासो गांव के रहने वाले रामसुमेर यादव का पुत्र अगेश यादव उम्र जब लगभग 10 वर्ष की थी। उस समय सर्पदंश से उसकी मौत हो गयी थी। परिजनों ने उसे मृत समझकर केले के पत्ते का नाव बनाकर घाघरा नदी में प्रवाहित कर दिया था। अंकेश का शव नदी में बहते बहते बिहार राज्य में कटिहार के अररिया घाट पर पहुंच गया। जहां मछुआरों ने उसे नदी से बाहर निकाल सपेरे को बुलाया। सपेरे ने उसे झाड़ फ़ूक कर जिंदा कर दिया और मंगेश को अपने साथ ले कर चला गया और अपने बच्चे की तरह उसका पालन पोषण किया।
अंगेश उसके साथ रहने लगा कुछ वर्षो बाद सपेरा उसे लेकर हरियाणा राज्य में रहने लगा। जब सपेरे की मौत हो गई तो अंगेश अकेला महसूस करने लगा। वहीं उसकी मुलाकात एक ट्रैक ड्राइवर से हुई उसने जिले का नाम देवरिया और बिल्थरा बताया। ट्रक ड्राइवर अंगेश को लाकर उसे बेल्थरा रोड छोड़ दिया। अंगेस से जब लोगों ने पूछा तुम कहां के रहने वाले हो उसने बताया मेरा घर मुरासु है।
लोगों ने परिजनों की सूचना दी जब परिजन पहुंचे तो अंगेश ने अपने मां और रिश्तेदारों को दूर से देखते ही पहचान लिया। 15 साल बाद अंगेस के लौटने से अब घर में खुशी का माहौल है। अंगेस के रिश्तेदार और दूरदराज से लोग उसे देखने आ रहे हैं। जहां य़ह क्षेत्र में कौतूहल का विषय बना हुआ है। वहीं अंगेस का कहना है कि अब घर की सारी जिम्मेदारी संभाल लूंगा और मैं अपने मां-बाप को पाकर बहुत खुश हूं।
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