Agra, इंडिया न्यूज (Uttar Pradesh)। उत्तर प्रदेश में आगरा के आर मधुराज हॉस्पिटल में हुए अग्निकांड में डॉक्टर राजन, उनकी बेटी शालू उर्फ सिमरन और बेटा ऋषि की धुएं में दम घुटने से मौत हो गई। जबकि, चार अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है।
India News ने इस हादसे के चश्मदीद और हॉस्पिटल संचालक राजन के पिता गोपीचंद से बातचीत की। गोपीचंद का कहना है कि, यह हादसा नहीं, सोची समझी साजिश थी। इसके आधार पर अब पुलिस और प्रशासन ने छानबीन शुरू कर दी है। एफएसएल टीम अब इस बात की पड़ताल कर रही है कि हॉस्पिटल में शार्ट सर्किट से आग लगी थी या सोची समझी साजिश के तहत आग लगाई गई?
ताजनगरी के नरीपुरा (थाना शाहगंज) में जगनेर रोड स्थित आर मधुराज हॉस्पिटल में आग लग गई थी। हॉस्पिटल में बने एक फोम गोदाम में लगी आग से हॉस्पिटल में धुंआ भर गया। इससे हॉस्पिटल में भर्ती मरीज, नर्सिंग स्टाफ के साथ ही पहली मंजिल पर सो रहे हॉस्पिटल संचालक का परिवार भी फंस गया।
दम घुटने से हॉस्पिटल संचालक राजन, उसकी बेटी शालू और सिमरन और बेटा ऋषि की मौत हो गई। जबकि, हॉस्पिटल में भर्ती 5 मरीज और अन्य लोग अस्पताल में भर्ती कराए हैं। जिनमें से चार की हालत गंभीर है।
हॉस्पिटल संचालक राजन के पिता गोपीचंद ने इंडिया न्यूज से बातचीत में बताया कि सुबह करीब 4:30 बजे मुझे शटर की आवाज सुनाई दी। जिससे मैं जाग गया। लेकिन, मैंने सोचा कि बेटा राजन शायद टहलने जा रहा होगा। इस वजह से मैं कुछ देर तक बिस्तर से नहीं उठा।
फिर जब दोबारा आवाज सुनी तो मैं रूम से बाहर आया और देखा कि हॉस्पिटल परिसर में फोम के गोदाम से आग का गुबार और धुआं निकल रहा था। इस पर मैंने बेटा राजन और नाती लवी के साथ ही दूसरे परिजनों को जगाया। सभी दौड़ कर आए और आग बुझाने में जुट गए।
गोपीचंद ने बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से आग बुझाने का प्रयास किया। सूचना के करीब 20 से 25 मिनट बाद फायर ब्रिगेड की टीम और पुलिस पहुंची। तब तक राजन को कमरे से बाहर निकाला जा चुका था। वो बेसुध था। उसे तत्काल पास के हॉस्पिटल में भेजा, इसके साथ ही नातनी शालू और नाती ऋषि को भी पास के हॉस्पिटल में इलाज कर लिए भेजा।
आर मधुराज हॉस्पिटल में भर्ती मरीज और परिवार के अन्य सदस्य की तबीयत खराब थी। उन्हें भी पास के हॉस्पिटल में भर्ती कराया। हॉस्पिटल परिसर में स्थित जिस दुकान में फोम का गोदाम बना रखा है, उसमें अंडरग्राउंड लाइट फिटिंग है और उसमें बल्ब भी नहीं जलता है।
हॉस्पिटल में घुसकर के आग लगाई गई थी। हॉस्पिटल का मुख्य गेट खुला हुआ है। गोपीचंद ने इस बारे में पुलिस और प्रशासन को भी बताया है कि, यह हादसा नहीं यह सोची समझी साजिश है। यह पूरे परिवार की हत्या के लिए किया गया।
गोपीचंद का कहना है कि, बीते 1 साल से उनकी दुकान और हॉस्पिटल के आसपास टोने और टोटके किए जा रहे हैं। यह रंजिशन हो रहा है। इसकी शिकायत गोपीचंद पुलिस से लिखित में शिकायत करेंगे। गोपीचंद बेटा राजन को डॉक्टर बनाना चाहता था। क्योंकि, पहले परिवार में 4 लोगों की एक साथ मौत हुई थी।
इस पर गोपीचंद ने सोचा था कि, बेटा राजन डॉक्टर बन जाएगा तो समय पर और सस्ता इलाज मिल सकेगा। परिचित ने राजन को एक होम्योपैथी चिकित्सक कंपाउंडर बनवा दिया। तभी से राजन हॉस्पिटल और क्लीनिक पर कंपाउंडर की नौकरी कर रहा था। फिर 2016 में राजन ने आर मधुराज के नाम से अपने मकान में हॉस्पिटल खोल लिया।
जब किसी ने शिकायत की तो दो बार हॉस्पिटल में छापा पड़ा और यहां सील भी लगाई गई। बेटा राजन डॉक्टर नहीं बन सका। राजन बेटे लवी को डॉक्टर बनाना चाहता था ।हाल में ही लवी ने नीट की परीक्षा पास कर ली है।
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