India News (इंडिया न्यूज़), Allahabad HC, PRAYAGRAJ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक ही प्लाट की कई लोगों को रजिस्ट्री करके धोखाधड़ी करने के मामले के आरोपियों को राहत देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है।
बरेली के तुफैल अहमद व पांच अन्य की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति बीके बिरला एवं न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने दिया।
सरकारी वकील और सुमित गोयल ने याचिका का विरोध किया। याची तुफैल अहमद और पांच अन्य के खिलाफ बरेली के कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप है कि तुफैल अहमद ने बुखारा एंक्लेव के नाम से एक आवासीय योजना विकसित की।
जिसमें प्लाट बेचने के लिए राजकुमार मल्होत्रा नाम के व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी दे दी। राजकुमार मल्होत्रा ने 24 फरवरी 1992 को दिल्ली के डॉ राजेश टंडन के पक्ष में एक प्लॉट की रजिस्ट्री की। बाद में उसने 2004 में विजय प्रकाश और रितेश अग्रवाल को भी बेच दिया। इन दोनों ने आगे यही प्लाट तुफैल अहमद की बहू रफीकन बेगम को बेच दिया।
इसके खिलाफ डॉ राजेश ने तुफैल अहमद सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मुकदमे को चुनौती दी गई।प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया कि प्रकरण पूरी तरीके से सिविल विवाद का है।
इस मामले में अधीनस्थ न्यायालय में याची ने सिविल सूट दाखिल करके डॉ राजेश की रजिस्ट्री निरस्त करने की मांग की है।प्रकरण को अनावश्यक रूप से आपराधिक रंग दिया गया है।
जबकि शिकायतकर्ता डॉ राजेश की ओर से कहा गया कि, उनके साथ धोखाधड़ी की गई है।और आपराधिक मामला शुरू करने से ठीक पांच दिन पहले जानबूझकर सिविल सूट दाखिल किया गया।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि प्राथमिक से प्रथम दृष्टया अपराध का मामला होना पाया जाता है। सिविल सूट लंबित रहने के आधार पर आपराधिक मामला रद्द किए जाने की दलील स्वीकार योग्य नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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