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Controversy : शायर मुनव्वर राणा बोले- मेरा बाप मुसलमान था, मां की कोई गारंटी नहीं लेता

• LAST UPDATED : October 20, 2022

Controversy

इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh) । उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव से पहले पसमांदा मुस्लिमों को लेकर सियासत जारी है। इसी बीच मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने एक विवादित बयान दिया है। मुनव्वर राना ने कहा, ”कुछ लोगों को पसमांदा का मतलब भी पता नहीं होगा। समाज में जो पिछड़ जाता है, उसे पसमांदा कहा जाता है। उन्होंने हिंदुस्तान में मुसलमानों के इतिहास को लेकर कहा कि मैं ईमानदारी से कहता हूं कि मेरा बाप मुसलमान था और मैं इसकी गारंटी लेता हूं। लेकिन मैं इसकी गारंटी नहीं लेता कि मेरी मां भी मुसलमान थी।”

इस्लाम में जात-पात की कोई अवधारणा नहीं

शायर मुनव्वर राना ने कहा कि इस्लाम में जात-पात की कोई अवधारणा नहीं है और न ही कोई भेदभाव है। अरब में कोई नहीं जानता कि वह कौन सी जाति का है। वहां हर किसी की पहचान अरबी से है। इसी आधार पर शादियां होती हैं और तमाम मामले हल होते हैं।

उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि कुछ लोगों को पसमांदा का मतलब भी पता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि समाज में जो पिछड़ जाता है, उसे पसमांदा कहा जाता है। उन्होंने हिंदुस्तान में मुसलमानों के इतिहास को लेकर कहा कि मैं ईमानदारी से कहता हूं कि मेरा बाप मुसलमान था और मैं इसकी गारंटी लेता हूं। लेकिन मैं इसकी गारंटी नहीं लेता कि मेरी मां भी मुसलमान थी।

उन्होंने कहा कि हमारा पिता मुसलमान था, जो फौज के साथ भारत आया था। फौजें अपने किरदार, व्यवहार और तौर-तरीकों के साथ अपनी अच्छी विचारधारा से हिंदुस्तान में घुल मिल गया। देश में कहीं निजामुद्दीन औलिया तो कहीं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, कहीं वारिस अली शाह तो कहीं हजरत शाहमीना शाह की हैसियत से पूरे हिंदुस्तान में फैलते चले गए।

भाजपा पसमांदा मुस्लिमों को अपनी ओर लाने की फिराक में

दरअसल, भाजपा यूपी में मुस्लिम वोटों को अपनी ओर लाने फिराक में जुटी है। इसी कड़ी में भाजपा ने 16 और 18 अक्टूबर को लखनऊ में पसमांदा मुस्लिम सम्मेलन किया। इस सम्मेलन के जरिए भाजपा ने नगर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए मुस्लिमों को साधने की कोशिश की है। निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी के सूत्र बताते है कि बीजेपी ऐसे वार्ड और नगर पंचायतों में भी अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतार सकती है, जहां अधिकतर अल्पसंख्यक वोटर हैं। पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे ने इस मिशन पर काम शुरू कर दिया है।

प्रदेश भर में मोर्चा की बैठकों का सिलसिला शुरू हो रहा है। 200 से ज्यादा नगर पालिका, नगर पंचायत की ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोट निर्णायक स्थिति में हैं। माना जा रहा है कि ये तैयारी सिर्फ निकाय चुनाव की नहीं बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है। इसी मकसद बीजेपी लगातार पसमांदा मुसलमानों की बात कर रही है ताकि अल्पसंख्यकों में सेंध लग सके।

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