Controversy
इंडिया न्यूज, बरेली (Uttar Pradesh) । दिल्ली की जामा मस्जिद में अकेली लड़कियों के प्रवेश पर प्रतिबंध मामले में तूल पकड़ लिया है। एक तरफ जहां कुछ लोग मस्जिद प्रबंधन के इस फैसले को सही करार दे रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक स्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव के साथ जोड़कर देख रहे हैं।
इस मामले को राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी गंभीरता से लिया है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि हम इस मामले को स्वत: संज्ञान ले रहे हैं, यह गंभीर मामला है। जल्द ही इस पर आगे की कार्यवाई की जाएगी। वहीं, बरेली के मौलाना ने इसे सही करार दिया है।
प्रवेश पर रोक लगाना बिल्कुल जायज
दरगाह आला हजरत से जुडे़ संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने प्रतबंध को जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस्लामी शरीयत ने बहुत पहले ही महिलाओं को मस्जिदों और दरगाहों पर जाने से रोका है। दिल्ली जामा मस्जिद की इंतजामात कमेटी द्वारा लिया गया फैसला बिल्कुल सही और जायज़ है। ये कोई नया फैसला नहीं है, पैग़म्बरे इस्लाम के जमाने में औरतें मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए आती थी।
फिर कुछ जमाने के बाद शिकायतें आने लगी, इन शिकायतों की और चंद खराबियों की वजह से पैग़म्बरे इस्लाम ने महिलाओं को मस्जिद में आने से रोकने का आदेश दिया, और फ़रमाया कि जितना सबाब मस्जिद में इबादत करने से मिलेगा उतना ही सबाब घर पर नमाज पढ़ने में मिलेगा। महिलाओं को घर पर नमाज पढ़ने के साथ मस्जिद का हुक्म दे दिया गया, इसलिए उस वक्त से लेकर अब तक औरतें मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए नहीं आती है।
मौलाना ने आगे कहा कि जामा मस्जिद कमेटी का फैसला कोई नया नहीं है उन्होंने शरीयत के अनुसार निर्णय किया है, यहां पर कोई ऐतराज करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता ने ट्वीट कर साधा निशाना
कोई भाषा विज्ञानी समझाये "लड़कियों" को "अकेले" कैसे माना जा सकता है ? 🤔 pic.twitter.com/mplMAtmO0i
— Rakesh Tripathi (@rakeshbjpup) November 24, 2022
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