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Ghaziabad: लड़ाकू-विमानों के पार्ट्स बनाने वाली BEL के 6 अधिकारियों समेत 12 पर धोखाधड़ी का एफआईआर दर्ज

• LAST UPDATED : December 13, 2022

Ghaziabad

इंडिया न्यूज, गाजियाबाद (Uttar Pradesh): सीबीआई ने रक्षा मंत्रालय के उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड गाजियाबाद के 6 अधिकारियों सहित 12 के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। इसमें 3 कंस्ट्रक्शन कंपनियां और इनके तीन डायरेक्टर भी आरोपी बनाए गए हैं। आरोप है कि अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की 10 साइटों पर 1575 करोड़ रुपए के ठेके मनमाने तरीके से दिए और इन कंपनियों को लाभ पहुंचाया।

मंत्रालय के लेटर पर शुरू हुई थी जांच
सीबीआई इंस्पेक्टर अमित कुमार ने दिल्ली ब्रांच में एफआईआर सात दिसंबर 2022 को दर्ज कराई है। इसमें कुल 12 आरोपियों पर IPC धारा- 420, 120बी और PC एक्ट की धारा 13(2), 13(1)(D) लगाई गई है। रक्षा मंत्रालय में उपसचिव गोकुल नागरकोटी के लेटर पर पिछले साल एक जांच प्रारंभ हुई थी, जिसके बाद सीबीआई ने अब नामजद एफआईआर की है।

इन पर हुआ है धोखाधड़ी का केस दर्ज
सुनील कुमार शर्मा, GM नेटवर्क सेंटरिंग सिस्टम, BEL गाजियाबाद, आरके हांडा, GM नेटवर्क सेंटरिंग सिस्टम, BEL गाजियाबाद, एसएस चौधरी, सीनियर DGM मार्केटिंग, BEL गाजियाबाद, गुरजीत सिंह, सीनियर DGM सीएस, BEL गाजियाबाद, बीपी पाहुजा, GM ईएस, BEL बंगलुरु, मनीष गोयल, DGM इन्फ्रा, BEL गाजियाबाद, सुरेश कुमार आनंद, पार्टनर RD कंस्लटेंट, सुधीर कुमार मारवाह, डायरेक्टर SR अशोक एंड एसोसिएट, दिल्ली, राहुल भूचर, डायरेक्टर CS कंस्ट्रक्शन, नई दिल्ली, मैसर्स RD कंस्लटेंट, वसंतकुंज नई दिल्ली, मैसर्स CS कंस्ट्रक्शन, वसंत कुंज दिल्ली, मैसर्स SR अशोक एंड एसोसिएट, दिल्लीCBI जांच में ये आरोप पाए गए है।

कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए निविदाएं ऑफलाइन स्वीकार कीं गई
प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट के ठेके देने में साल-2011 से 2017 के बीच DPR में घोर अनियमितताएं बरती गईं। DPR बनाने के लिए RD कंसल्टेंट को रखा गया। इस कंपनी को रखने के लिए सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की गईं, जबकि सारी बातचीत BEL अधिकारियों ने पहले ही कर ली थी। वहीं 8 सितंबर 2011 को ब्लास्ट प्रूफ के लिए RD कंसल्टेंट से DPR तैयार कराते वक्त BEL ने वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट मैनुअल का पालन नहीं किया। रक्षा मंत्रालय की 10 साइटों पर होने वाले सिविल वर्क के लिए जो प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट बनाई गई, उसमें कहीं पर भी डिजाइन और लागत का उल्लेख नहीं किया गया था। BEL ने चहेती कंस्ट्रक्शन कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए इनकी निविदाएं ऑनलाइन की बजाए ऑफलाइन स्वीकार कीं थी। इन कंपनियों को जब 1575 करोड़ रुपए के टेंडर दिए गए, उस वक्त BEL ने पूर्व योग्यता मानदडों का उल्लंघन करते हुए निविदा डालने वाली कंपनियों को शॉर्ट लिस्ट नहीं किया।

दो साइट पर धंसी जमीन
सीबीआई की जांच में ये बात भी सामने आई कि जिन 10 साइटों पर सिविल कंस्ट्रक्शन का ठेका मिला था, उनमें से दो साइटों पर जून-2017 में जमीन धंसने की घटनाएं सामने आईं। एक जगह साइड की दीवार गिर गई तो दूसरी जगह साइड की दीवारें मिट्टी के कारण ढह गईं। सीबीआई ने माना कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि SOP तैयार करते वक्त डिजाइन सलाहकार परिस्थतियों से परिचित नहीं थे। डिजाइन सलाहकार के साथ एग्रीमेंट के अनुसार RD कंसल्टेंट को महीने में एक बार साइट का दौरा करना था, जो नहीं हुआ।

मैनेजर पर आवेदन पत्र में गलत जानकारी देने का आरोप
निर्माण कार्यों में हुई इस गड़बड़ी के लिए CBI ने BEL गाजियाबाद के मैनेजर मनीष गोयल को जिम्मेदार ठहराया है। इस पद पर नौकरी के लिए 10-12 साल का अनुभव चाहिए, लेकिन मनीष गोयल पर जॉइनिंग के वक्त ये अनुभव नहीं था। आरोप है कि उन्होंने नौकरी पाते वक्त आवेदन पत्र में ऐप्रैंटिस टेन्योर के तथ्यों को छिपाकर गलत जानकारी दर्ज की। इसके अलावा मनीष गोयल ने वेंडरों द्वारा जमा किए जा रहे बिल का 10 फीसदी सत्यापन भी नहीं किया।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का उपक्रम है। ये गाजियाबाद के साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया स्थित है। यहां पर लड़ाकू विमानों के पार्ट तैयार किए जाते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यह स्थान अति महत्वपूर्ण है। भारत में बनने वाले भारतीय वायुसेना के सी-295 विमान स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रणाली से लैस होंगे। ये प्रणाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड विकसित करेगी।

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