इंडिया न्यूज, गोरखपुर:
Gorakhpur city assembly गोरखपुर का शहर विधानसभा क्षेत्र में भगवा का रंग लगातार गहरा होता जा रहा है। यह वह सीट है जो गैर भाजपा पार्टियों के लिए अभेद हो चुकी है। यहां पर भाजपा के भगवा खेमे के नेता ही चुनाव जीत रहे हैं। बीते आठ विधानसभा चुनावों में यहां सात बार भाजपा तो एक बार हिंदू महासभा का झंडा लहराया है। इस सीट पर भाजपा के टिकट से शिव प्रताप शुक्ल जीत का चौका लगा चुके हैं। जीत के उनके रिकार्ड की बराबरी नगर विधायक डा. राधामोहन दास अग्रवाल ने भी की है। फर्क बस इतना कि उनकी एक जीत हिंदू महासभा के बैनर तले रही।
इस सीट पर सबसे पहले 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सदर सीट से कांग्रेस के टिकट पर इस्तफा हुसैन ने जीत हासिल की थी। 1957 में भी वह विजयी रहे जबकि 1962 में नियमतुल्लाह अंसारी ने कांग्रेस को जीत दिलाई। 1967 के चुनाव में जनसंघ के उदय प्रताप ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। शहर में यह भगवा खेमे की पहली जीत थी। 1969 के चुनाव में अपने उम्मीदवार रामलाल भाई के जरिए कांग्रेस ने यह सीट एक बार फिर हथिया ली। हालांकि इस दौर तक शहर में जनसंघ की पकड़ मजबूत हो चुकी थी, जिसका प्रभाव अगले दो चुनाव में दिखा।
1989 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के शिव प्रताप शुक्ल ने यह सिलसिला शुरू किया। 1991, 1993 और 1996 के चुनाव में वह भाजपा के टिकट पर निरंतर जीतते रहे। 2002 के चुनाव में शिव प्रताप का मुकाबला हिंदू महासभा के प्रत्याशी डा. राधामोहन दास अग्रवाल से हुआ। डा. अग्रवाल को तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद मिला तो जनता ने डा. राधा मोहन को विधायक बना दिया। तब भी इस सीट पर सिंबल भले बदला लेकिन वैचारिक रंग भगवा ही रहा। इसके बाद लगातार तीन चुनाव 2007, 2012 और 2017 में डा. राधामोहन दास अग्रवाल भाजपा के टिकट पर जीतते रहे। 2022 में योगी आदित्यनाथ ने एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता