India News (इंडिया न्यूज़), Gyanvapi : Gyanvapi के वजूखाना में मिले कथित शिवलिंग की परिक्रमा करने जा रहे ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने आश्रम के गेट पर रोक दिया। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पुलिस से पूछा कि आप उन्हें सनातन का काम करने से क्यों रोक रहे हैं।
वाराणसी पुलिस ने धारा 144 का हवाला देते हुए शंकराचार्य को जाने से रोक दिया है। उन्होंने लिखित अनुमति मांगी है। इसके बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने लिखित अनुमति के लिए आवेदन किया है। शंकराचार्य ने कहा है कि अगर अनुमति नहीं मिली तो वह लड़ाई जारी रखेंगे।
आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर ASI की रिपोर्ट सामने आ गई है। जीपीआर सर्वे पर एएसआई ने कहा है कि यहां एक बड़ा भव्य हिंदू मंदिर था और ढांचे यानी मस्जिद से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां मंदिर होने के 32 से ज्यादा सबूत मिले हैं। बताया गया है कि 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं जो पुराने हिंदू मंदिरों के हैं। एएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू मंदिर के स्तंभों को थोड़ा संशोधित किया गया और नई संरचना के लिए उपयोग किया गया।
उधर, काशी के ज्ञानवापी स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा है कि अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद और काशी के ज्ञानवापी विवाद में काफी समानता है। जिस तरह से अयोध्या विवाद मामले में ASI सर्वे रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई। ज्ञानवापी मामले में भी यही होगा।
आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा था कि दोनों मामले एक जैसे हैं। सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद के मंदिर होने के सबूत मिले हैं। कोर्ट ने मंदिर मिलने के सबूत सार्वजनिक करने का आदेश दिया है। इससे सिद्ध होता है कि वहां कोई मन्दिर था। इसलिए कोर्ट को चाहिए कि इन सबूतों के बाद ज्ञानवापी में मंदिर का निर्माण कराया जाए। जैसे पहले हिंदू वहां पूजा करते थे। पूजा की शुरुआत भी इसी प्रकार करनी चाहिए। क्योंकि ASI को मिले सबूतों को किसी भी तरह से नकारा नहीं जा सकता।
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