(HOLI 2023: Unique Holi in Mathura, women whip the bare bodies of men ): ब्रज के होली महोत्सव के पर्व के रूप में श्री दाऊजी महाराज का विश्व प्रसिद्ध हुरंगा जहां पर नंगे बदन पर तड़ातड़ कोड़ों की मार देखने के लिए बड़ी संख्या देशी-विदेशी श्रद्धालु उमड़ते हैं । हुरंगा के नायक शेषावतार श्री दाऊजी महाराज होते हैं। दाऊजी के हुरंगा की अनूठी परंपरा है। कवि की कल्पना ने कहा है देख-देख या ब्रज की होरी ब्रह्मा मन ललचाए। ब्रज की होली भगवान श्रीकृष्ण में केंद्रित है। तो दाऊजी का हुरंगा उनके बड़े भ्राता श्रीबलदेव जी पर केंद्रित है। हुरियारिनें यह नहीं देखतीं कि पिटने वाले जेठ हैं या ससुर।
खबर में खास:-
हुरंगा में पुरुष गोप समूह महिलाएं गोपिका स्वरूप द्वारा प्रेम से भीगे पोतने कोड़ों की मार नंगे बदन पर खाते हैं। इस दृश्य को देखकर श्रद्धालु आनंदित हो जाते हैं। हुरंगा का आयोजन प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता हैं।
बलदेव के विश्व प्रसिद्ध हुरंगा के संबंध में मंदिर रिसीवर आरके पांडेय ने बताया विशाल हुरंगा में 8 क्विंटल टेसू के फूल, ढाई क्विंटल केसरिया रंग, 11 क्विंटल विभिन्न प्रकार के अबीर-गुलाल, 11 क्विंटल व विभिन्न प्रकार के फूलों का प्रयोग होता है।
टेसू का रंग प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है। इसमें केसर, चूना, फिटकरी मिलाकर शुद्ध रूप से प्राकृतिक बनाया जाता है। गुलाल को मशीनों द्वारा उड़ाया जाता है। पानी व रंगों के फव्वारे लगाए जाते हैं। हुरंगा खेलने के लिए ब्रज की गोपिका स्वरूप महिलाएं आकर्षक पहनावे में परंपरागत लहंगा फरिया आभूषण पहनकर अपने झुंड के साथ द्वारों से मंदिर में होली गीत गाते हुए आती हैं। श्रद्धालु सुबह से ही छतों पर एकत्र हो जाते हैं।
मंच पर श्री कृष्ण बलराम सखाओं के साथ अबीर-गुलाल उड़ाते हैं। हुरंगा में गोस्वामी श्री कल्याण देव के वंशज सेवायत पांडेय समाज ही खेलते हैं। महिलाएं पुरुषों के बदन से कपड़े फाड़-फाड़कर उन्हें प्रेम से टेसू के रंग में भिगोकर उनका कोड़ा बनाकर नंगे बदन पर तड़ातड़ प्रेम से प्रहार करती हैं। पुरुष आनंदित हो जाते हैं। इसलिए कहावत है फागुन में जेठ कहे भाभी। छतों से गुलाल और फूलों की पंखुड़ियां उड़ने से आसमान इंद्रधनुषी हो जाता है।
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