India News (इंडिया न्यूज़),Kanpur Crime: कोर्ट के आदेश को सर्वोपरि माना जाता है, लेकिन उसमें अहम भूमिका निभाने वाले अधिवक्ता कोर्ट की अवहेलना करते हुए दिख रहे हैं। ताजा मामला कानपुर का है जहां पर एक अधिवक्ता ने कूट रचित दस्तावेज बनाकर कोर्ट को गुमराह कर आरोपी को जमानत दिलवा कर जेल से रिहा करवा दिया।
आपको बता दे कि कोर्ट द्वारा जमानत निरस्त करने के आदेश की कूटरचना कर जमानत स्वीकृत का आदेश बनाया और परवाना बनवाकर आरोपी को जेल से रिहा करवा दिया। अधिवक्ता कि शिकायत पर जिला जज ने जांच करवाई तो कोर्ट के पेशकार की मिली भगत सामने आई। जिसके बाद उसको निलंबित कर दिया गया।
गुजैनी के पिपौरी निवासी लड़की के साथ 6 जून को पड़ोसी नरेंद्र सचान ने घर में घुसकर दुष्कर्म किया था। पीड़ित के पिता ने गुजैनी थाने में नरेंद्र के खिलाफ पाक्सों एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने नरेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अपर जिला जज 25 के विशेष पॉक्सो अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
कोर्ट का आदेश ऑनलाइन ई कोर्ट पर भी अपलोड कर दिया गया था। इसके बावजूद 1 सप्ताह में ही नरेंद्र जमानत पर जेल से बाहर आ गया और पीड़ित के घर पहुंच कर उसे धमकाने लगा। पीड़ित ने जब अपने अधिवक्ता नरेश मिश्रा के माध्यम से कोर्ट में जानकारी की तो पता चला कि संबंधित न्यायालय के पेशकार अश्वनी नरेंद्र के पैरोकार व अधिवक्ता की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा कर जमानत निरस्त के आदेश को स्वीकृत के आदेश में बदल दिया गया था। नरेंद्र की जमानत दाखिल कर उसकी रिहाई परवाना जेल भिजवा दिया गया था। वहीं पेशकार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर निलंबन की कार्यवाही की गई।