India News (इंडिया न्यूज), Kejriwal In Lucknow: केंद्र सरकार द्वारा पारित अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मोर्चा खोल दिया है। वो बारी बारी से विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। आज अरविंद केजरीवाल लखनऊ पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की। यहां पर उन्होंने कहा कि यदि सभी विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो इस केंद्र सरकार के अध्यादेश का पराजित किया जा सकता है। केजरीवाल के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद थे। साथ में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी थे।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल में अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद मीडिया से बात भी की। उन्होंने कहा कि यदि गैर-बीजेपी पार्टियां एक साथ हो जाती हैं तो इस अध्यादेश को राज्यसभा में पराजित किया जा सकता है और इससे देश में एक मजबूत संदेश जाएगा कि मोदी सरकार 2024 में सत्ता में नहीं आ रही है। मैं सपा प्रमुख अखिलेश यादव को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि उनकी पार्टी हमें राज्यसभा में समर्थन करेगी।”
मैं उन्हें भरोसा दिलाता हूं कि दिल्ली का अध्यादेश जो आया है वह गैर लोकतांत्रिक है और इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव https://t.co/RkEVa1NR6H pic.twitter.com/1eifBchNxY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 7, 2023
इस संयुक्त प्रेसवार्ता में अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि “मैं उन्हें (अरविंद केजरीवाल) को भरोसा दिलाता हूं कि दिल्ली का अध्यादेश जो आया है वह गैर लोकतांत्रिक है और इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं। इसी के साथ उन्होंन लखनऊ में हुए शूटआउट पर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किए। उन्होंने कहा कि “इस विषय पर अगर समाजवादी पार्टी कुछ कह देगी तो आप कहेंगे कि समाजवादी पार्टी ने मरवा दिया।”
केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए के अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए अध्यादेश जारी किया था, जिसे आप सरकार ने सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा बताया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर दिल्ली में सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपे जाने के एक सप्ताह बाद यह अध्यादेश आया। यह DANICS कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करना चाहता है। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यकारी नियंत्रण में थे।
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