India News (इंडिया न्यूज़), Abhishek Singh, Lok Sabha Election 2024: 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर कहा जब इंडिया और एनडीए की तरफ़ से गठबंधन के कुनबे को बड़ा करने की क़वायद जारी है वहीं बसपा पर ख़ास तौर से सभी नज़रें गड़ी है और यही वजह है की क़यासे भी लगती रहती है हाल ही में एक चर्चा तेज़ हुई की बसपा और इंडिया के बीच बात चीत चल रही है और कुछ बात बन सकती है।
बिहार में बसपा के साथ गठबंधन का फ़ायदा उठा चुकी Aimim भी बसपा के साथ आने को लेकर सम्भावनाएँ तलाश रही है लेकिन इन सारी अटकलों को बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज बक़ायदा ट्वीट कर अपने अन्दाज़ में पूरी तरह ख़ारिज करते हुए कहा दोनो गठबंधनों पर ही निशाना साध दिया और दोनों को गरीब विरोधी और जातिवादी कहा उन्होंने कहा एनडीए व इण्डिया गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक साथ ही आरोप लगाया कि दोनो की पार्टियां धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियाँ हैं
जिनकी नीतियों के विरुद्ध बीएसपी अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। वही बसपा सुप्रीमो ने अपने ट्वीट में गठबंधन पर तंज कस्ते हुए कहा बीएसपी, विरोधियों के जुगाड/जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे/बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनकेे गठबंधन से सन 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा तथा चार राज्यों में विधानसभा का आमचुनाव लडे़गी।
बसपा सुप्रीमो ने अपने ट्वीट में गठबंधन से होने वाले दूसरे दलो के फ़ायदे का ज़िक्र करते हुए कहा वैसे तो बीएसपी से गठबंधन के लिए यहाँ सभी आतुर, किन्तु ऐसा न करने पर विपक्षी द्वारा खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। इनसे मिल जाएं तो सेक्युलर न मिलें तो भाजपाई। यह घोर अनुचित तथा अंगूर मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं, की कहावत जैसी।
वही बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीते दिनों पार्टी से बाहर किए गये पश्चिम उत्तर प्रदेश में अच्छा दबदबा रखने वाले नेता इमरान मसूद को लेकर भी निशाना साधा और अपने ट्वीट में कहा बीएसपी से निकाले जाने पर सहारनपुर के पूर्व विधायक कांग्रेस व उस पार्टी के शीर्ष नेताओं की प्रशंसा में व्यस्त हैं, जिससे लोगों में यह सवाल स्वाभाविक है कि उन्होंने पहले यह पार्टी छोड़ी क्यों और फिर दूसरी पार्टी में गए ही क्यों? ऐसे लोगों पर जनता कैसे भरोसा करे?
इन सारी बातों के बाद जहाँ एक बात तो साफ़ है की बसपा अब आने वाले लोकसभा चुनाव में किसी के साथ गठबंधन तो नही करेगी वहीं ये देखना दिलचस्प होगी की बसपा सुप्रीमो मायावती जो इन दिनो अपने वोट बैंक को लेकर ख़ासी चिंता में है और अब लोकसभा चुनाव में अकेले चलने की ठान चुकी है और इस फ़ैसले से उन्हें चुनाव में कितना फ़ायदा वोट काउंट और सीटों के मामले में होता है।
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