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Lok Sabha Election 2024: यूपी में लोकसभा की सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन के बीच इस फॉर्मूले पर बन सकती है बात, जानें

• LAST UPDATED : September 3, 2023

India News (इंडिया न्यूज़),Martand Singh,Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दलों में बैठकों और मंथन का दौर जारी है। बीजेपी और एनडीए के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी दलों ने इंडिया नाम से गठबंधन तैयार किया। उत्तर उत्तर प्रदेश में भी इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग के लिए मंथन चल रहा है। अंदरखाने से जो खबरे निकल कर सामने आ रही हैं वो इशारा कर रही हैं कि जल्दी ही सीट बटवारें का फार्मूला तय हो सकता है। सपा, कांग्रेस, रालोद और अन्य घटक दलों के बीच सीटों पर मंथन शुरू हो गया है। हालांकि, सीटवार इसे भाजपा के पत्ते सामने आने के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा।

यूपी पर विपक्षी दलों के गठबंधन की नजर

उत्तर प्रदेश लोकसभा सीटों के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है। 80 लोकसभा सीटें यूपी से आती हैं जहां अभी बीजेपी मजबूत स्थिति में है। ऐसे में विपक्षी दलों के गठबंधन की नजर भी उत्तर प्रदेश पर है। सियासी कहावत भी है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है। लोकसभा सीटों के लिहाज से देखें तो यूपी में फिलहाल विपक्षी समावेशी गठबंधन इंडिया के घटक दलों की स्थिति अच्छी नहीं है। लोकसभा में भाजपा के बाद सबसे बड़े दल कांग्रेस के पास यूपी में मात्र एक सीट रायबरेली है।

सपा यहां भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी ताकत

साल 2019 के चुनाव में सपा को 5 सीटें मिली थीं और बाद में इनमें से दो सीटें आजमगढ़ और रामपुर उसने उपचुनाव में खो दीं। इस तरह से वर्तमान में सपा के पास मैनपुरी, मुरादाबाद और संभल लोकसभा तीन सीटें ही हैं। रालोद और अन्य सहयोगी दल यहां शून्य पर हैं। विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो सपा यहां भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी ताकत है, जिसके नाते उसके नेता चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनके पक्ष को तरजीह मिले।

यूपी में कांग्रेस और सपा की ताकत में कोई खास फर्क नहीं

वहीं राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, सीटों के मुद्दे पर मंथन चक्र में कांग्रेस के नेताओं का तर्क है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव की प्रकृति अलग-अलग है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि वर्ष 2014 में जब यूपी में सपा सरकार थी, तब लोकसभा में उसे मात्र पांच सीटें ही मिली थीं। दूसरा, लोकसभा के मद्देनजर यूपी में कांग्रेस और सपा की ताकत में कोई खास फर्क नहीं है। इसलिए विधानसभा की सीटों के आधार पर लोकसभा चुनाव के लिए फार्मूला तय करने की समझ को जायज नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए लोकसभा के सिलसिले में खुले मन से सीटों के मुद्दे पर बात होनी चाहिए, ताकि मिलकर भाजपा के अभेद्य माने जा रहे राजनीतिक किले को ढहाया जा सके।

यूपी में कांग्रेस 25-30 सीटें मांग रही

सूत्रों के हवाले से आ रही जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस यूपी में 25-30 सीटें मांग रही है, पर बात 15-20 सीटों पर बन सकती है। आरएलडी को विधानसभा चुनाव में सपा से साझेदारी के तहत 33 सीटें दी गई थीं और इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में 4-5 सीटें दी जा सकती हैं। करीब 50 सीटों पर सपा लड़ेगी और 5-10 सीटें अन्य सहयोगी दलों को छोड़ी जा सकती हैं। अन्य सहयोगी दलों के लिए इंडिया की विशेष रणनीति के तहत पश्चिम में चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी को भी एक सीट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है, संभवतः ये सीट बिजनोर हो सकती है, और प्रत्यासी चंद्रशेखर ही हो सकते हैं। कुर्मी मतदाताओं को लुभाने के लिए नीतीश कुमार को भी पूर्वांचल से लड़ाने के लिए गंभीरता से विचार चल रहा है।

तृणमूल कांग्रेस को भी एक सीट दिए जाने की चर्चा जोरों पर

तृणमूल कांग्रेस को भी एक सीट दिए जाने की चर्चा जोरों पर है। असल मे अगर तृणमूल को अगर यूपी में सीट अगर दी जाएगी तो उसके बदले समजवादी पार्टी पश्चिम बंगाल में किरणमयी नंदा के लिए एक सीट मांग सकती है। सूत्रों के मुताबिक, सीटों पर प्रत्याशी की आधिकारिक घोषणा करने से पूर्व भाजपा के टिकट देने के समीकरणों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसलिए सीटवार चेहरे घोषित करने में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी।

यूपी की 80 सीटों में से 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी

2019 में बीजेपी ने सपा और बसपा के महागठबंधन के बावजूद यूपी की 80 सीटों में से 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि सपा-बसपा महागठबंधन को 15 सीटें मिली थीं। इसमें 10 सीटें बसपा और 5 सीटें सपा के खाते में गई थीं. 2014 के मोदी लहर में कांग्रेस 2 और समाजवादी पार्टी 5 सीटों पर सिमट गई। तब कांग्रेस को यूपी में 7.53 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी मोदी लहर में भी 22.35 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही. वही आरएलडी 2014 और 2019 दोनों ही लोक सभा चुनाव में  एक भी सीट नही जीत पाई थी। 2014 में पार्टी 8 सीट और 2019 में 3 सीट पर चुनाव लड़ी थी।

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