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लापरवाही पर लखनऊ व कानपुर के पुलिस कमिश्नर हटे, जाम बनी वजह

• LAST UPDATED : August 1, 2022

इंडिया न्यूज, लखनऊ (UP news): शासन ने लापरवाही पर लखनऊ व कानपुर कमिश्नर को हटा दिया। हालांकि कार्रवाई की और भी वजह बताई जा रही है, लेकिन प्रमुखता लखनऊ के बंथरा थाना क्षेत्र में कानपुर-लखनऊ मार्ग पर शनिवार रात को लगा घंटों का जाम बना। मामला सोशल मीडिया पर हाईलाइट हुआ तो कार्यवाहक डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान ने एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार को मौके पर भेजा। उन्होंने किसी तरह यातायात को डायवर्ट करा कर जाम खुलवाने में मदद की। बाद में डीजीपी ने लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर और कानपुर नगर के पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीणा को प्रतीक्षारत कर दिया गया। इंटेलीजेंस में तैनात एडीजी एसबी शिरडकर को लखनऊ और पुलिस मुख्यालय पर साढ़े छह साल से एडीजी बीपी जोगदंड को कानपुर की जिम्मेदारी दे दी गई।

साथ ही 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हुए डीजी विश्वजीत महापात्रा के स्थान पर सीबीसीआईडी के डीजी जीएल मीणा को भेज दिया गया। होमगार्ड के डीजी विजय कुमार को सीबीसीसीआईडी और लॉजिस्टिक में तैनात डीजी बीके मौर्या को होमगार्ड का डीजी बना दिया गया। बीके मौर्य के पास होमगार्ड के साथ लॉजिस्टिक का अतिरिक्त चार्ज रहेगा।

हाईकमान स्तर पर लखनऊ पुलिस आयुक्त से चल रही थी नाराजगी

सूत्रों के मुताबिक लखनऊ पुलिस आयुक्त को हटाए जाने की एक वजह पूर्व की घटनाएं हैं। इसमें लुलु माल प्रकरण प्रमुख रहा। यहां कई दिनों तक विवाद चलता रहा। विवाद को शांत करने की कोशिश भी नहीं की गई। इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद विवाद शांत हुआ। इसके अलावा लखनऊ पुलिस आयुक्त की कार्यप्रणाली को लेकर भी उच्चाधिकारियों में नाराजगी थी। उच्चाधिकारियों को शिकायत थी कि वह बात नहीं सुनते।

कानपुर के पुलिस आयुक्त के हटने की वजह

विजय सिंह मीणा को 13 जनवरी को कानपुर का पुलिस आयुक्त बनाकर भेजा गया था। विजय सिंह मीणा को सपा का खास माना जाता रहा था। हालांकि उन्हें बतौर आईजी रेंज ढाई साल तक भाजपा सरकार ने वाराणसी में बनाए रखा। बीते 3 जून को नुपुर शर्मा के विवादित बयान के विरोध में प्रदर्शन की शुरुआत कानपुर से ही हुई। खास बात यह है कि जब कानपुर में प्रदर्शन हो रहा था उस दिन देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों कानपुर में थे। विजय सिंह मीणा को हटाने का निर्णय ले लिया गया था। बाद में कानपुर दंगे में फंसे लोगों से वसूली की शिकायत भी डीजीपी मुख्यालय व मुख्यमंत्री कार्यालय को मिली थी।

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